विवाह संस्कार /  पाणिग्रहण संस्कार  का कलवार समाज में महत्व

मानव जीवन में कोई भी कार्य करना हो तो वह किसी संस्कार से ही शुरू किया जाता है, यानी किसी भी कार्य को करने के लिए हिंदू धर्म में संस्कार का महत्व है. धार्मिक ग्रंथों में 16 संस्कार का विस्तार रूप से वर्णन किया गया है. आइए जानते हैं कौन से हैं वह 16 संस्कार.

1. गर्भाधान संस्कार
2. पुंसवन संस्कार
3. सीमन्तोन्नयन संस्कार
4. जातकर्म संस्कार
5. नामकरण संस्कार
6. निष्क्रमण संस्कार
7. अन्नप्राशन संस्कार
8. मुंडन/चूडाकर्म संस्कार
9. विद्यारंभ संस्कार
10. कर्णवेध संस्कार
11. यज्ञोपवीत संस्कार
12. वेदारम्भ संस्कार
13. केशान्त संस्कार
14. समावर्तन संस्कार
15. विवाह संस्कार
16. अन्त्येष्टि संस्कार/श्राद्ध संस्कार

विवाह संस्कार /  पाणिग्रहण संस्कार  का समाज में विशेष महत्व है और इसे सही तरीके से मानने से समाज में सुधार और कु-चलनों को दूर किया जा सकता है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं जो विवाह संस्कार को मानने में ध्यान में रखे जा सकते हैं, जिससे हमारे कलवार समाज में सुधार हो और सुंदर और साफसुथरी और आधुनिक कलवार समाज की की स्थापना हो और बहाली हो :

1. शिक्षा और जागरूकता

  • समझदारी से निर्णय: विवाह से पहले लड़के और लड़की को शिक्षा और जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
  • जागरूकता अभियान: समाज में विवाह के सही अर्थ और इसके महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना।

2. समानता और सम्मान

  • लिंग समानता: विवाह में लड़का और लड़की दोनों को समान रूप से महत्व देना और उनका सम्मान करना।
  • सम्मानजनक व्यवहार: दोनों परिवारों के बीच सम्मान और आदर का भाव रखना।

3. दहेज प्रथा का उन्मूलन

  • दहेज का विरोध: दहेज प्रथा को सख्ती से नकारना और इसे सामाजिक रूप से गलत ठहराना।
  • सरल विवाह: साधारण और सादगीपूर्ण विवाह को प्रोत्साहित करना, जिसमें अनावश्यक खर्चे न हों।

4. बाल विवाह पर रोक

  • विधिक आयु का पालन: लड़के और लड़की की विवाह की न्यूनतम आयु का सख्ती से पालन करना।
  • शिक्षा पर ध्यान: विवाह से पहले लड़के और लड़की दोनों की शिक्षा पूरी करने पर जोर देना।

5. पारदर्शिता और ईमानदारी

  • सही जानकारी: विवाह से पहले लड़के और लड़की के बारे में सही जानकारी देना और कोई भी बात छुपाना नहीं।
  • ईमानदार संवाद: परिवारों के बीच ईमानदारी से बातचीत और सभी पहलुओं पर चर्चा।

6. आधुनिक और पारंपरिक मूल्य

  • आधुनिक सोच: पुरानी रूढ़िवादी सोच से बाहर निकलकर, नई सोच को अपनाना जो समानता और स्वतंत्रता को बढ़ावा देती हो।
  • पारंपरिक मूल्यों का सम्मान: पारंपरिक मूल्यों का सम्मान करते हुए, उनमें आवश्यक सुधार करना।

7. सामाजिक समर्थन और सहयोग

  • समुदाय का समर्थन: विवाह से जुड़े सभी निर्णयों में समुदाय का सहयोग और समर्थन लेना।
  • सहयोग की भावना: विवाह के बाद भी समाज में सहयोग और समर्थन बनाए रखना।

8. संवाद और परामर्श

  • मूल्यवान संवाद: विवाह के हर चरण में दोनों परिवारों के बीच स्पष्ट और सकारात्मक संवाद स्थापित करना।
  • परामर्श सेवाएं: विवाह से पहले और बाद में परामर्श सेवाओं का उपयोग करना, ताकि कोई भी समस्या आने पर सही मार्गदर्शन मिल सके।

मैं और छोटे शब्दों में जोड़ना चाहता हूँ कि विवाह दिन में हो, खाने के मेनू पर लगाम लगे

इन बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, विवाह संस्कार को सही तरीके से मानने से न केवल समाज में सुधार होगा, बल्कि कु-चलनों को दूर करके समाज को बहाल करने में भी मदद मिलेगी।

संपादक Manoj Kumar Shah

इस पोस्ट को अपने समाजबंधु के साथ जरूर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

समाजबंधु के सदस्य बने
X
अब आप समाजबंधु के सदस्य भी बन सकते हैं
हम 24 घंटे के भीतर आपको जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे
<
संपादक बने
भाव-विचार और अनुभवों के आदान-प्रदान से सामाजिकता की भावना का संचार होता है।
>
क्या आप समाजबंधु संपादक बनना चाहते हैं ?
वैवाहिकी सदस्य बने
यह कलवार | कलार | कलाल समाज के लडकों और लड़कीयो के रिश्ते तय करने में सहयोग हेतु बनाया गया है।
>
नमस्ते,
समाजबंधु विवाह मॅट्रिमोनी में आपका स्वागत है।
धन्यवाद।
मनोज कुमार शाह