भगवान सहस्रबाहु के बारे में एक अदभुत प्रश्नोत्तरी

हम कलचुरी समाजबंधु आज भले ही अलग-अलग वर्गों और उपनामों में बंटे हुए हैं, लेकिन सब हैं राजराजेश्वर भगवान श्री सहस्त्रबाहु अर्जुन की संतति…, जिनका जन्मोत्सव हर वर्ष कार्तिक शुक्ल की सप्तमी को मनाया जाता है जो इस वर्ष 8 नवंबर 2024 को पड़ रही है। हर वर्ष की तरह इस बार भी देशभर में कलचुरी समाज के सभी वर्ग बड़े उत्साह के साथ अपने आराध्य देव का जन्मोत्सव मनाने की तैयारी में जुटे हैं। ऐसे में प्रस्तुत हैं भगवान सहस्रबाहु के बारे में एक अदभुत प्रश्नोत्तरी जिसमें आपको अपने आराध्य को लेकर अपनी हर जिज्ञासा का समाधान मिल जाएगा।

इसमें प्रत्येक प्रश्न के सरल भाषा व रोचक शैली में दिए गए संक्षिप्त उत्तरों में हर वो जानकारी समाहित है जो एक आम कलचुरी बंधु से अपेक्षित होती है। यह कमाल का काम किया है भोपाल के वयोवृद्ध समाजसेवी श्री शंकरलालजी राय ने। ‘गागर में सागर’ जैसी इस प्रश्नोत्तरी का अंग्रेजी, मलयालम, तेलुगु, मराठी, बंगाली समेत कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
प्रश्न-1. श्री सहस्रार्जुन का कालखंड क्या है?
उत्तरः- लगभग 5000 वर्ष ईसा पूर्व अर्थात वर्तमान से लगभग 7000 वर्ष पूर्व।
प्रश्न-2 (अ). श्री सहस्रार्जुन किसके अवतार थे?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन श्री विष्णु के सुदर्शन चक्रके अवतार थे।
प्रश्न-2(ब). श्री सहस्रार्जुन के अवतार संबंधी पंडित विष्णु जटाशंकर जी जोशी द्वारा क्या कथा बताई गई है?
उत्तरः- तथानुसार चक्र सुदर्शन ने भगवान विष्णु से कहा कि, ‘भगवन मैनें बहुत युद्ध किए किन्तु किसी भी युद्ध में संतोष प्राप्त नहीं हुआ।भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से कहा कि, युद्ध में हम ही तुम्हें संतुष्ट करेंगे, हे पुत्र! मृत्युलोक में जाओ, यथेष्ट राज करो, प्रजा की भलाई करो, अधर्मी, दुष्टों, चोरों आदि का नाश करो, मैं भी तुम्हारा मनोरथ पूर्ण करने व तुम्हें लेने जमदग्नि के यहां पुत्र के रूप में आउंगा। इतना कहकर विष्णु भी अंतर्ध्यान हो गए।
प्रश्न-3. श्री सहस्रार्जुन के अवतार का क्या उद्देश्य था?
उत्तरः- प्रजा की भलाई, अधर्मी, दुष्टों, चोरों आदि का नाश करना।
प्रश्न-4. श्री सहस्रार्जुन का जन्म कहां हुआ था?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन का जन्म कलचुरी वंश की कुल राजधानी महिष्मती (वर्तमान महेश्वर, जो जिला खरगौन, मध्य प्रदेश में स्थित है) में हुआ था।
प्रश्न-5. श्री सहस्रार्जुन का जन्म कब हुआ था?
उत्तरः- कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी, दिन रविवार को हुआ था।
प्रश्न-6. श्री सहस्रार्जुन के पिताजी का क्या नाम है?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन के पिता जी का नाम चक्रवर्ती सम्राट कृतवीर्य था, इनके नाम के कारण सतयुग को कृतयुग भी कहा जाता है। कृतवीर्य के पिताजी महाराजा कनक (धनद) थे।
प्रश्न-7 (अ). श्री सहस्रार्जुन की माताश्री का क्या नाम है?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन की माताश्री के विषय में अनेक मत हैं, लेकिन अधिक मान्य माताश्री का नाम सरमा देवी (जो अपने शील गुणों एवं सौंदर्य के कारण पद्मिनी कहलाती थीं) है, जो सत्यवादी महाराजा हरिश्चंद्र की पुत्री थीं।
प्रश्न-7 (ब). श्री सहस्रार्जुन की पत्नी का नाम क्या था?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन की पत्नी का नाम महाराजी मनोरमा था।
प्रश्न-7 (स). श्री सहस्रार्जुन के सौ पुत्रों में से सबसे बड़े पुत्र का नाम बताएं?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन के सबसे बड़े पुत्र का नाम जयध्वज था।
प्रश्न-7 (द) श्री सहस्रार्जुन के पुत्र के बड़े पुत्र (पौत्र) का नाम बताएं?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन के पोते का नाम महाराज तालजंघ था जिन्होंने उज्जैन (अवंतिका) में महाकाल की स्थापना की थी जिसे गुप्तकाल तक तालजंघ महाकाल कहा जाता था। इनके पुत्र अवन्ति ने अवंतिका (उज्जैन या उज्जैयनी) नगरी बसाई थी।
प्रश्न-8. श्री सहस्रार्जुन का जन्म किस वंश में हुआ था?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन का जन्म हैहय-क्षत्रिय वंश में हुआ था।
प्रश्न-9. माता-पिता ने श्री सहस्रार्जुन का क्या नाम रखा था?
उत्तरः- माता-पिता ने इनका नाम अर्जुन रखा था।
प्रश्न-10. पुराणों में इनके कितने नाम प्राप्त हैं?
उत्तरः- पुराणों में श्री सहस्रार्जुन के 1000 नामों का उल्लेख है।

प्रश्न-11. जैन धर्म के ग्रंथों में श्री सहस्रार्जुन का उल्लेख किस नाम से है?
उत्तरः- जैन धर्म में सहस्र-किरण के नाम से श्री सहस्रार्जुनजी का उल्लेख है।
प्रश्न-12. श्री सहस्रार्जुन को राजराजेश्वर क्यों कहा जाता है?
उत्तरः- राजाओं के राजा या वह चक्रवर्ती राजा जिनके राज में सूर्य अस्त न होता हो, तथा वह राजपुरुष जो यश, ऐश्वर्य, श्री, ज्ञान, वैराग्य, धर्म आदि 6 गुणों से परिपूर्ण हो, को राजराजेश्वर कहते हैं। श्री सहस्रार्जुन में ये सभी विशेषताएं थीं।
प्रश्न-13. श्री सहस्रार्जुन को कार्तवीर्य क्यों कहा जाता है?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन के पिताश्री का नाम कृतवीर्य था, इसलिए श्री सहस्रार्जुन को कार्तवीर्य कहा जाता है।
प्रश्न-14. श्री सहस्रार्जुन को सहस्त्रबाहु क्यों कहा जाता है?
उत्तरः- सहस्रार्जुन को सहस्रबाहु कहलाने संबंधी अनेक मत है, जो निम्न प्रकार हैः-
(1) सुदर्शन चक्र में सहस्त्रों दातें होते हैं, अतः सुदर्शन चक्रावतार होने के कारण।
(2) श्री सहस्रार्जुन के पास सहस्त्रों नौकाएं होने के कारण।
(3) श्री सहस्रार्जुन के अनेक राज्यों में हजारों (सहस्त्रों) स्थायी सैन्य दल होने के कारण।
(4) मार्कण्डेय पुराण व विष्णु पुराण के अनुसार अधिक मान्य कारण था कि श्री सहस्रार्जुन ने भगवान श्री दत्तात्रेय की कठिन तपस्या कर अनेक वरदानों में एक वरदान यह भी प्राप्त किया था कि युद्ध के समय इनकी सहस्त्र भुजाएं हो जाएंगी। वे इतनी इतनी हल्की होंगी कि जिनका भार शरीर पर नहीं पड़ेगा। इसलिए भी सहस्त्रबाहु कहलाए।
प्रश्न-15. महाराजा कृतवीर्य के देवलोक जाने पर, जब श्री सहस्रार्जुन को राजगद्दी पर बैठना चाहा तो उन्होंने क्या किया?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन ने राजगद्दी पर बैठने से इनकार कर दिया था।
प्रश्न-16. श्री सहस्रार्जुन ने राजगद्दी पर बैठने से इनकार का क्या कारण बताया?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन ने कहा कि एक राजा जो प्रजाजन से उनकी आय का एक भाग कर के रूप में लेकर, यदि उनकी पूरी रक्षा न कर सके, तो वह राजा पाप का भागी होता है व नरक में जाता है। अतः राजा को पूर्ण योगी पद ग्रहण कर राजगद्दी पर बैठना चाहिए।
प्रश्न-17. श्री सहस्रार्जुन के राजगद्दी पर बैठने से इनकार से, उनकी किस विशेषता का पता चलता है?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन सिद्धांतवादी थे।
प्रश्न-18. मुनिश्रेष्ठ गर्ग ने श्री सहस्रार्जुन को किसकी तपस्या की सलाह दी?
उत्तरः- गर्ग मुनि ने श्री विष्णु के अंश के रूप में अवतरित सह्य पर्वत की गुफा में निवास कर रहे भगवान श्री दत्तात्रेय की तपस्या करने की सलाह दी।
प्रश्न-19. भगवान श्री दत्तात्रेय से राजकुमार श्री सहस्रार्जुन ने कितने वरदान मांगे?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन ने 10 वरदान मांगे थे।
प्रश्न-20. श्री सहस्रार्जुन ने ऐश्वर्य-शक्ति प्रदान करने का क्या वरदान मांगा?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन ने वरदान मांगा कि ऐसी उत्तम ऐश्वर्य शक्ति प्रदान कीजिए जिसमें मैं प्रजा का पालन कर सकूं।

प्रश्न-21. श्री सहस्रार्जुन ने मन की बातसंबंधी क्या वरदान मांगा?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन ने मन की बा संबंधी वरदान मांगा कि मैं दूसरों के नाम की बात जान सकूं।
प्रश्न-22. श्री सहस्रार्जुन ने युद्ध संबंधी क्या वरदान मांगा?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन ने युद्ध संबंधी वरदान मांगा कि युद्ध में कोई मेरा सामना न कर सके, युद्ध करते समय मुझे 1000 भुजाएं प्राप्त हों, किंतु वे इतनी हल्की हों जिससे इनका भार मेरे शरीर पर न पड़े।
प्रश्न-23. श्री सहस्रार्जुन ने अंत (मृत्यु) संबंधी क्या वरदान मांगा था?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन ने अंत (मृत्यु) संबंधी वरदान मांगा कि मेरा अंत मेरी अपेक्षा श्रेष्ठ पुरुष के हाथों हो।
प्रश्न-24. श्री सहस्रार्जुन ने अवाध गति संबंधी क्या वरदान मांगा?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन ने अबाध गति संबंधी वरदान मांगा कि पर्वत, आकाश, जल, पृथ्वी, पाताल में मेरी अबाध गति हो।
प्रश्न-25. श्री सहस्रार्जुन ने उपदेशक संबंधी क्या वरदान मांगा?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन ने उपदेशक संबंधी वरदान मांगा कि यदि में कुमार्ग पर चलूं तो मुझे सन्मार्ग दिखाने वाला उपदेशक प्राप्त हो।
प्रश्न- 26श्री सहस्रार्जुन ने अतिथि संबंधी क्या वरदान मांगा?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन ने अतिथि संबंधी वरदान मांगा कि मुझे श्रेष्ठ अतिथि प्राप्त हो।
प्रश्न-27. श्री सहस्रार्जुन ने धन संबंधी क्या वरदान मांगा?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन ने धन संबंधी वरदान मांगा कि निरंतन दान करने पर भी मेरा धन कभी समाप्त न हो।
प्रश्न-28. श्री सहस्रार्जुन ने किसमें अनन्य भक्ति संबंधी वरदान मांगा?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन ने वरदान मांगा कि आप (भगवान श्री दत्तात्रेय) में मेरी अनन्य भक्ति बनी रहे।
प्रश्न-29. श्री सहस्रार्जुन ने किस विषय में ज्ञान प्राप्त होने संबंधी वरदान मांगा?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन ने वरदान मांगा कि मोक्ष के विषय का मुझे ज्ञान हो।
प्रश्न-30. भगवान श्री दत्तात्रेय ने श्री सहस्रार्जुन द्वारा मांगे गए वरदानों के अतिरिक्त और क्या आशीर्वाद किया?
उत्तरः- भगवान दत्तात्रेय ने श्री सहस्रार्जुन को चक्रवर्ती सम्राट होने का आशीर्वाद भी दिया।
प्रश्न-31. श्री सहस्रार्जुन ने राजसिंहासन पर आसीन होते ही क्या घोषणा की? अथवा श्री सहस्रार्जुन को अहिंसा-प्रेमी क्यों कहा जाता है?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन ने राज्याभिषेक के समय घोषणा करवाई- आज से मुझे (राजा को) छोड़कर जो कोई भी शस्त्र धारण करेगा या दूसरों की हिंसा में प्रवृत्त होगा, वह लुटेरा समझा जाएगा, उसका मेरे हाथों वध होगा। इस घोषणा के कारण ही उन्हें अहिंसा-प्रेमी कहा जाता है।
प्रश्न-32. श्री सहस्रार्जुन को पर्जन्य क्यों कहा जाता है?
उत्तरः- ब्रह्माण्ड पुराण में वर्णित है कि श्री सहस्रार्जुन अपने योगबल से अतिवृष्टि (अधिक वर्षा) एवं अनावृष्टि (वर्षा न होना) पर अपने योगबल से नियंत्रण कर लेते थे। वह आवश्यकतानुसार योग योग बल से मेघ-रूप होकर वर्षा करते थे। इसलिए इन्हें पर्जन्य कहा जाता है।
प्रश्न-33. श्री सहस्रार्जुन के अतिरिक्त कौन-कौन स्तुति-गामी हैं?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन के अतिरिक्त श्री दत्तात्रेय, नारद, व्यास, शुकदेव, हनुमान व गोरखनाथ भी स्मरण करने मात्र से उपस्थित होकर भक्तों के दुःख दूर करते हैं।
प्रश्न-34. विष्णु पुराण में श्री सहस्रार्जुन द्वारा किसको बंदी बनाने का वर्णन है?
उत्तरः- दिग्विजय के लिए निकले रावण को महिष्मती पुरी में बंदी बनाने का वर्णन है।
प्रश्न-35. आनन्द दीप या नंदादीप क्या है?
उत्तरः- जब श्री सहस्रार्जुन ने रावण को बंदी बनाकर राज दरबार में प्रस्तुत कर, उनके दस सिरों पर विजयोत्सव मनाने के लिए दस दीपक जलवाकर रखवाए, वह दृश्य देखकर दरबारियों को आनन्द प्राप्त हुआ, तो इन दीपों को आनंद दीपया नन्दादीपकी संज्ञा दी गई।

प्रश्न-36. क्या श्री सहस्रार्जुन प्रथम दीपावलीके जनक हैं?
उत्तरः- हां, सहस्रार्जुन प्रथम दीपावली के जनक हैं। क्योंकि रावण के दस सिरों पर दस दीपक जलवाने पर, दीपकों की एक कतार बन गई, यहीं से दीपकों को कतार में रखकर जलाए जाने की परंपरा कालांतर में दीपावली उत्सव कहलाई। अर्थात इस प्रकार श्री सहस्रार्जुन के दरबार में प्रथम दीपावली मनाने की घटना घटी।
प्रश्न-37. विजयोत्सव संबंधी लोकोक्ति क्या है?
उत्तरः- दसों शीश दीपक बारी। नृत्य करें रम्भादिक नारी।
प्रश्न-38. श्री सहस्रार्जुन को चक्रदेव क्यों कहा जाता है?
उत्तरः- चक्रदेव से तात्पर्य काल-चक्र से है। यह काल-चक्र भगवान शंकर के पास था, जिसे उन्होंने सुदर्शन-चक्रचक्र के रूप में भगवान विष्णु को प्रदान किया, इस कारण श्री सहस्रार्जुन को चक्रदेव के नाम से भी जाना जाता है।
प्रश्न-39. श्री सहस्रार्जुन को समयचक्रका देवता क्यों कहा जाता है?
उत्तरः- काल (समय) अनंत, अनादि, अपार, अजेय व वर्तमान है। यही कारण है कि काल का अवतार श्री सहस्रार्जुन वर्तमान में जागृत देवहैं और उनके तंत्र-मंत्र-यंत्र वर्तमान में भी प्रभावी हैं। यह भी माना गया है कि समय (काल) ही धन है, अर्थात श्री सहस्रार्जुन समय व धन के देवता हैं।
प्रश्न-40. श्री सहस्रार्जुन धन के देवताहैं, इसकी पुष्टि कैसे होती है?
उत्तरः- श्री यंत्रजो लक्ष्मी प्राप्ति की तंत्र-विद्याका यंत्र-राजहै। इसके द्वारा ललिता व त्रिपुरी सुन्दरी (जो अपने उपासकों को धन, ऐश्वर्य प्रदान करती है) की उपासना की जाती है। इस श्री यंत्रमें पूर्व की ओर जय राजराजेश्वरयैः नमःअंकित है, जो श्री सहस्रार्जुन का ही एक नाम है।
प्रश्न-41. श्री सहस्रार्जुन को दाम्पत्य-सुख का देवता क्यों कहा जाता है?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन शुक्र ग्रह के स्वामी हैं, शुक्र ग्रह के उदय के साथ ही विवाह आदि मांगलिक कार्यों के मुहूर्त आरंभ होते हैं।
प्रश्न-42. श्री सहस्रार्जुन को तंत्राचार्य भी माना जाता है, क्यों?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन अथर्ववेदके मानने वाले थे, जिसमें पूजा-पाठ की विधि के अतिरिक्त तंत्र-मंत्र संबंधी श्लोक भी हैं, इसलिए इन्हें तंत्राचार्य भी कहा जाता है।
प्रश्न-43. तंत्राचार्य श्री सहस्रार्जुन के चमत्कारी यंत्र-मंत्र-तंत्र से किन बाधाओं का निवारण होता है?
उत्तरः- सहस्रार्जुन के चमत्कारी यंत्र-तंत्र-मंत्र से दैविक, दैहिक, भौतिक बाधाओं का निवारण होता है व समृद्धि-सिद्धि प्राप्त होती है।
प्रश्न-44. श्री सहस्रार्जुन का गुणगान कितने पुराणों में मिलता है?
उत्तरः- 18 पुराणों में से 12 पुराणों में यज्ञाचार्य, योगाचार्य, तंत्राचार्य श्री सहस्रार्जुन का गुणगान मिलता है।
प्रश्न-45. श्री सहस्रार्जुन को यज्ञाचार्य क्यों कहते हैं?
उत्तरः- पद्म पुराण के अनुसार, उन्होंने पूरी पृथ्वी क्षत्रिय धर्म के अनुसार जीतकर 10000 (दस हजार) यज्ञ किये, इन यज्ञों में स्वर्ण के स्तंभ व वेदियां बनाई जाती थीं। पर्याप्त दान-दक्षिणा बांटी जाती थी, सब देवतागण इसमें उपस्थित होते थे।
प्रश्न-46. श्री सहस्रार्जुन को प्रकृति-प्रेमी क्यों कहा जाता है?
उत्तरः- जब सूर्यदेव ने श्री सहस्रार्जुन से अपना तेज बढ़ाने हेतु भोजन स्वरूप खाण्डव वनकी समस्त वनस्पति, वृक्ष, जड़ी-बूटियां आदि अग्नि में भस्म करने को कहा तो श्री सहस्रार्जुन ने यह कहते हुए मना कर दिया कि यह सारी वन संपदा मेरे द्वारा रक्षित है, मैं इसे नहीं जला सकता हूं।
प्रश्न-47. श्री सहस्रार्जुन ने जीव-जन्तु, जानवरों के संरक्षण हेतु क्या किया?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन ने राज्य में मांस-भक्षणनिषेध कर दिया।
प्रश्न-48. श्री सहस्रार्जुन ने कृषि विकास के लिए क्या किया?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन ने सिंचाई सुविधा के लिए कृत्रिम नालों व नदियों का निर्माण करवाया। श्री सहस्रार्जुन के द्वारा निर्मित नदी वर्तमान में उत्तर प्रदेश में सहस्त्रवां या अर्जुनेय (बाहुदा) पवित्र नदी के रूप में पायी जाती है।
प्रश्न-49. एक ज्ञात लेखक ने श्री सहस्रार्जुन को क्या कहा?
उत्तरः- एक अज्ञात लेखक ने श्री सहस्रार्जुन को अवधूत कहा, जिसका अर्थ होता है वह श्रेष्ठ पुरुष जो संसारिक मोह माया से दूर हो, अजर-अमर ब्रह्मा का चिंतन करे, सुख-दुख, लाभ-हानि जैसी भावनाओं से ऊपर उठकर, सबसे कल्याण की भावना रखे’, श्री सहस्रार्जुन ऐसे ही संत सम्राटथे, जिन्होंने पूरी पृथ्वी जीतकर धर्म का शासन चला। -अज्ञात

प्रश्न-50. श्री सहस्रार्जुन का सबसे प्रमुख मंदिर कहां स्थित है?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन का प्रमुख मंदिर, उनकी जन्मस्थली महेश्वर (महिष्मती) में स्थित है। महेश्वर मध्य प्रदेश के खरगौन जिले में स्थित है जहां उन्होंने भगवान शंकर की मूर्ति में समाधि ली थी, यहां सैंकड़ों वर्षों से 11 शुद्ध घी से प्रज्ज्वलित नंदादीपया आनंद दीपभी हैं। इस मंदिर को राजराजेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह स्थल इंदौर से 90 किलोमीटर, खंडवा से 100 किलोमीटर, धामनोद से 13 किलोमीटर दूर स्थित है। धामनोद इंदौर-शिर्डी या मुंबई राजमार्ग पर स्थित है।
प्रश्न-51. श्री सहस्रार्जुन को मानने वाले भारत वर्ष में कौन-कौन हैं?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन को मानने वाले भारतवर्ष में कलचुरियों के साथ-साथ ताम्रकार, मारु, बुनकर, सोमवंशी, ब्याहुत आदि समाज के लोग हैं।
प्रश्न-52. जापान में श्री सहस्रार्जुन की पूजा किस रूप में की जाती है?
उत्तरः- जापान में दया के देवताके रूप में क्वानोनके नाम से पूजा की जाती है।
प्रश्न-53. चीन के किस संग्रहालय में श्री सहस्रार्जुन की हजार भुजाओं वाली प्रतिमा रखी है?
उत्तरः- चीन के ताइपे नगर के संग्रहालय में हजार भुजाओं वाली श्री सहस्रार्जुन की प्रतिमा रखी हुई है।
प्रश्न-54. भारत के किस पड़ोसी देश में श्री सहस्रार्जुन का प्राचीन मंदिर है?
उत्तरः- नेपाल के अमलेशगंज मार्ग पर परवानीपुरा एवं सेमरा के बीच 8 किलोमीटर पूर्व की ओर स्री सहस्रार्जुन का मंदिर है।
प्रश्न-55. श्री सहस्रार्जुन के विश्व में कहा-कहां अनुयायी पाये जाते हैं?
उत्तरः- श्री सहस्रार्जुन के अनुयायी भारत के अतिरिक्त उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान, अफगानिस्तान के उत्तरी भाग, जर्मनी, जापान, भूटान आदि क्षेत्रों में पाये जाते हैं।

shivharevaani.com में प्रकाशित

संपादक Manoj Kumar Shah

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धन्यवाद।
मनोज कुमार शाह