गोकुल में माता यशोदा और पिता नंद जी के घर दोनों भाई बलराम तथा श्री कृष्ण का पालन पोषण हो रहा था। एक दिन वासुदेव जी की प्रार्थना पर यादवों के महातपस्वी पुरोहित गर्गाचार्य जी ब्रज वासुदेव जी के घर पहुंचे। उन्हें देखकर वासुदेव जी अत्यंत प्रसन्न हुए। गुरु गर्गाचार्य जी का सम्मानपूर्वक आवभगत एवं स्वागत हुआ | वासुदेव जी उनसे अनुरोध किया कि वे उनके दोनों पुत्र का विधिवत नाम रख दें और नामकरण संस्कार पूरा कर दें । गर्गाचार्य जी ने नाम रखने में आने वाली अड़चन का संज्ञान बासुदेव जी को दिया और बताया कि वे क्योंकि यदुवंशियों के पुरोहित है अतः उनका नामकरण संस्कार सार्वजनिक रूप से होगा तो इसकी जानकारी कंस को मिल जाएगी और दोनों पुत्रों को कंस देवकी पुत्र मान लेगा और उन्हें मार डालने का प्रयत्न करेगा । यह अनुसंसा उन्होंने इस लिए जताई क्योकि योग माया द्वारा भविष्यवाणी की गई थी कि कंसको बध करने वाला अवतार इस संसार में आ चुका है, दुष्ट कंस इसी बात से आशंकित भी था । इन सारी बातों को सुन समझ कर नंद जी ने आचार्य गर्गाचार्य जी से अनुरोध किया कि वे घर के अंदर ही बिना किसी को आमंत्रित किए और एकांत में दोनों बच्चों का नामकरण संस्कार पूरा कर दें, और इस तरह नामसंस्कार का अनुष्ठान एकांत में पूरा हुआ !
पहले पुत्र अर्थात बड़े पुत्र का नाम ‘राम’ रखा गया, और उन्होंने बताया कि यह पुत्र अपने गुणों से सभी लोगों के मन को प्रसन्न करेगा, इसमें बल की बहुत ही अधिकता रहेगी | नाम राम और बलशाली होने के कारण इस बड़े लड़के का नाम “बलराम” होगा। इसे लोग बल भी कहेंगे यह यदुवंशियों की आपसी फूट मिटाकर सब यदुवंशियों के बीच एकता लाएगा । इसे लोग संकर्षण भी कहेंगे।
दूसरे लड़के अर्थात छोटे लड़के का नाम उसके कृष्ण वर्ण होने के के कारन कृष्ण रखा गया। नाम रखते समय यह भी गर्गाचार्य जी ने बताया कि यह पुत्र वासुदेव के नाम से भी जाना जाएगा। साथ ही साथ या भविष्यवाणी की गई कि यह पुत्र पूरा विश्व का कल्याण करेगा और आने वाली किसी भी विपत्तियों को दूर रखेगा।
प्रसंगवश यह उल्लेखनीय है कि बड़े भाई बलराम को शेषनाग का अवतार मना जाता है और छोटे
भाई श्रीकृष्ण को विष्णु भगवान का अवतार माना जाता है !
मनोज कुमार शाह : स्वरचित www.samajbandhu.com