भगवान बलराम जी का स्वरुप:-
बलराम भगवन का पूजन उनके मूर्ति स्वरुप या फोटो स्वरुप में की जाती है | किसी भी स्वरुप में चार चीजों को मुख्यता से दर्शाया जाता है | सभी देव श्रृंगार के साथ –
1. उनके नीले रंग के वश्त्र
2. उनके मस्तक के ऊपर राजछत्र शेष नाग
3. उनके हाँथों में हल, मूसल, गदा
4. उनकी दो नंदनी
वैल स्वरुप सुसज्जित होते हैं
कलवार समाज के ब्याहुत उपवर्ग के लोग विवाह के समय अपने वैवाहिक रश्म को मानाने के लिए कुम्हार से एक मूर्ति गढ़वातें है जो हल, मूसल, धुनष-वाण आदि अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित यज्ञोपवीत युक्त और म
स्तक के ऊपर शेष नाग राजछत्र धारण की हुई होती है । मूर्ति में कलेवर (जौ) खोंसा रहता हैं । शायद ये जौ लौहमय कवच के ऊपर निकले हुए नोकदार कांटों का स्मरण कराते हैं ।
जगरनाथ पूरी के बलभद्र
जगरनाथ पूरी मंदिर में बलभद्र के साथ छोटे भाई श्रीकृष्ण, बहन शुभद्रा की मूर्ति है | प्रचलित कहानी अनुसार इसे भगवन विश्वकर्मा जी ने बनाया था | उनकी बातों को उस समय के राजा ने ना मानकर गलती की थी | आधे बने हुए मूर्तियों को राजा ने मना करने पर भी चोरी से देख लिया इसी गलती के कारन सभी मुर्तिया आधी ही बन पाई | इसी अर्ध स्वरुप में जगरनाथ पूरी में पूजा भी होती है | बलभद्र जी गौर वर्ण होने के कारन उनकी मूर्ति सफेत रंग से रंगा जाता है|
बलराम पूजन विधि
वैसे तो सभी के घरों में बलराम जी का पूजन किया जाता है | खास मौकों की बात करें तो “जन्म जयंती”, जगरनाथ पूरी रथ यात्रा, और कलवार के ब्याहुत वर्ग के विवाह में पूजन होता है |
- गर्ग संहिता अनुसार पूजन विधि – देखें : https://www.samajbandhu.com/jagran/gargsanhita-balbhadra-puja/
- आज के प्रचलित संकल्प तथा पूजन विधि: आज कल पंडित जी द्वारा गणेश पूजन, संकल्प, तथा भोग लगा कर बलभद्र पूजन किया जाता है | भोग रूपी प्रसाद में फल, मिठाई, दाल चावल कढ़ी बड़ी, पापड़, फुलौरा इत्यादी का भोग लगता है !
- फोटो या मूर्ति बना कर पूजा की जाती है |
- बलराम भगवान् के सभी मंदिरों में पूजन विशेष भोग द्वारा किया जाता है |
- विवाह के समय “श्री बलभद्र मनवान” के रूप में पूजन विधि – देखें : https://www.samajbandhu.com/jagran/balbhadra-manawan-byahut-wiwah-kee-parampara/