बहादुर कलारिन

: बहादुर कलारिन :
एक पत्थर पर टिकी हुई है बहादुर कलारिन की माची, चिरचारी : जिला- बालोद: छत्तीसगढ़

माची का अर्थ होता है मंच लम्बी, लम्बी लकड़ियों, खंभों आदि की वह रचना जिसके आधार पर कोई भारी चीज ठहराई या रखी जाती है। बहादुर कलारिन की माची, यह एक करीबन 600-700 वर्ष पुरानी स्मारक है । बालोद से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर बालोद-पुरुर रोड पर चिरचिरी ग्राम जिला- बालोद छत्तीसगढ़ में स्थित है।

“जिम्मेदारीयो में कलावती की जीत””

यह उन दिनों की बात है जब ब्यापार के रूपमें मदिरा दुकान का संचालन कलावती कर रही थी गाँव से हट कर पत्थरीले चट्टान की ओर पत्थर की माची बनाकर कलावती मदिरा आसवन का काम करती थी । मदिरा व्यवसाय के साथ-साथ कलावती ने इत्र और औषधि का अर्क तैयार करने का काम करती थी इस कारोबार में कलावती ने अपार धन संपदा भी एकत्र की थी कमर में कटार बाँधकर सोने की बैठकी में कलावती महारानी के समान ही दिखती थी कलावती के पास शराब खरीदने के लिए दुर-दुर से “कलार“ व्यापारी आते थे कलावती के शांत और सादगीपुर्ण व्यव्हार के आगे वे सभी नतमस्तक थे कभी कभार मनचलो का सामना भी कलावती से होता था लेकिन मनचलो को मुँह की खानी पड़ती थी और वे शर्मसार होकर भाग खड़े होते थे कलावती के इस पराक्रम ने उसे बहादुर कलारिन बना दिया था ।

प्रचलित गाथा के अनुसार एक हैयवंशी राजा शिकार खेलने यहां आए। वे बहादुर कलारिन नामक युवती से मिले और उसके सौंदर्य पर मुग्ध होकर उसके साथ गंधर्व विवाह कर लिया, वह गर्भवती हो गई और उसने एक शिशु को जन्म दिया, जिसका नाम कछान्या रख दिया। युवा होने पर उसने मां से अपने पिता का नाम पूछा और मां के द्वारा नाम बताए जाने पर वह सभी राजाओं से घृणा करने लगा। उसने एक सैन्यदल गठित किया और उसने समीपस्थ अन्य राजाओं को हराकर उनकी कन्याओं को बंदी बनाकर अपने घर ले आया और बंदिनी राजकुमारियों को अन्न कूटने व पीसने के काम में लगा दिया। बहादुर कलारिन ने अपने पुत्र को उनमें से किसी एक कन्या से शादी करके अन्य सभी राजकुमारियों को छोड़ देने का आग्रह किया किंतु उसने मां की आज्ञा नहीं मानी। तत्पश्चात बहादुर कलारिन ने भोजन में जहर मिलाकर अपने पुत्र को मार डाला और कुंए में कूदकर प्राण त्याग दिए। नारी सम्मान और त्याग के इस वक्त की याद में इस मंदिरावशेष, मण्डप को बहादुर कलारिन की माची कहा जाता है।

मां बहादुर कलारिन सिन्हा समाज की आराध्य देवी हैं। छत्तीसगढ़ में बहादुर कलारिन की गाथा शौर्य और साहस का पाठ पढ़ाती है। आज विभिन्न मंचों के माध्यम से इस वीरांगना के साहस और त्याग की अभिव्यक्ति भी जनमानस में होने लगी है।

संकलित : FB: We are kalwar’s of india & https://www.hiteshkumarhk.in/

संपादक Manoj Kumar Shah

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