बलभद्र सहस्रनाम

गर्ग संहिता बलभद्र खण्‍ड‎: अध्याय 13 बलभद्र सहस्रनाम

दुर्योधन ने कहा- महामुने प्राडविपाकजी ! भगवान बलभद्र के सहस्रनाम को, जो देवताओं के लिये भी गोपनीय अज्ञात हैं, मुझ से कहिये। प्राडविपाक मुनि बोले- साधु, साधु ! महाराज ! तुम्‍हारा यश सर्वथा निर्मल है। तुमने जिसके लिये प्रश्न किया है, वह परम देवदुर्लभ सहस्रनाम गर्गजी के द्वारा कथित है। उन दिव्‍य सहस्रनाम का वर्णन मैं तुम्‍हारे सामने कर रहा हूँ। गर्गाचार्यजी ने यमुनाजी के मंगलमय तट पर यह सहस्रनाम गोपियों को प्रदान किया था।

विनियोग :-

‘ॐ अस्‍य श्री बलभद्रसहस्रनामस्‍तोत्रमन्‍त्रस्‍य गर्गाचार्यऋषि:, अनुष्‍टुप् छन्‍द:, संकर्षण: परमात्‍मा देवता, बलभद्र इति बीजम्, रेवतीरमण इति शक्ति:, अनन्‍त इति कीलकम्, बलभद्रप्रीत्‍यर्थे जपे विनियोग:।

इस बलभद्र सहस्रनाम स्‍तोत्ररुपी मन्‍त्र के गर्गाचार्य ऋषि हैं, अनुष्‍टुप् छन्‍द है, परमात्‍मा संकर्षण देवता है, बलभद्र बीज है, श्री बलभद्र की प्रीति के लिये इसका विनियोग है|

इसको पढ़कर सहस्र नाम पाठ के लिये विनियोग का जल छोड़ दे। तत्‍पश्चात् इस प्रकार ध्‍यान करे

ध्‍यान :-

स्‍फुरदमलकिरींट किकिंणीक्कड़णार्हं चलदलककपोलं कुण्‍डलश्रीमुखाब्‍जम्।

तुहिनगिरिमनोज्ञं नीलमेघाम्‍बराढयं हलमुसलविशांल कामपालं समीडे।।

जिनका निर्मल किरीट दमक रहा है, जो करधनी तथा कंकणों से अलंकृत हैं, चंचल अलकावली से जिनके कपोल सुशोभित हैं,  जिनका मुखकमल कुण्‍डलों से देदीप्‍यमान है, जो हिमाचल गिरि के समान मनोहर उज्‍ज्‍वल हैं तथा नीलाम्‍बर धारण किये हुए हैं। विशाल हल-मुसलधारण करने वाले उन भगवान कामपाल बलभद्रजी का मैं स्‍तवन करता हूँ।

बलदाऊ जी के 1000 नाम  (मन चित शांत कर ध्यान से इन नामों का जाप करें )

1.ॐ बलभद्र 2. रामभद्र 3. राम 4. संकर्षण 5. अच्‍युत 6. रेवतीरमण 7. देव 8. कामपाल 9. हलायुध 10. नीलाम्‍बर 11. श्वेतवर्ण 12. बलदेव 13. अच्‍युताग्रज 14. प्रलम्‍बघ्न 15. महावीर 16. रौहिणेय 17. प्रतापवान 18. तालाङ्क 19. मुसली 20. हली 21. हरि 22. यदुवर 23. बली 24. सीरपाणि 25. पद्मपाणि 26. लगुडी 27. वेणुवादन 28. कालिन्‍दीभेदन 29. वीर 30. बल 31. प्रबल 32. ऊर्ध्‍वग 33. वासुदेवकला 34. अनन्‍त 35. सहस्र वदन 36. स्‍वराट 37. वसु 38. वसुमती 39. भर्ता 40. वासुदेव 41. वसूत्तम 42. यदूत्तम 43. यादवेन्‍द्र 44. माधव 45. वृष्णिवल्‍लभ 46. द्वारकेश 47. माथुरेश 48. दानी 49. मानी 50. महामना 51. पूर्ण 52. पुराण 53. पुरुष 54. परेश 55. परमेश्‍वर 56. परिपूर्णतम 57. साक्षात परम 58. पुरुषोत्तम 59. अनन्‍त 60. शाश्वत 61. शेष 62. भगवान 63. प्रकृते:पर 64. जीवात्‍मा 65. परमात्‍मा 66. अन्‍तरात्‍मा 67. ध्रुव 68. अव्‍यय 69. चतुर्व्‍यूह 70. चतुर्वेद 71. चतुर्मूति 72. चतुष्‍पद 73. प्रधान 74. प्रकृति 75. साक्षी 76. संघात 77. संघवान् 78. सखी 79. महामना 80. बुद्धि सख 81. चेत 82. अहंकार 83. आवृत 84. इन्द्रियेश 85. देवता 86. आत्‍मा 87. ज्ञान 88. कर्म 89. शर्म 90. अद्वितीय 91. द्वितीय 92. निराकार 93. निरञ्जन 94. विराट् 95. सम्राट् 96. महौघ 97. आधार 98. स्‍थास्‍त्रु, 99. चरिष्‍णुमान् 100. फणीन्‍द्र 101. फणिराज 102. सहस्र फणमण्डित 103. फणीश्वर 104. फणी 105. स्‍फुर्ति 106. फूत्‍कारी 107. चीत्‍कार 108. प्रभु 109. मणिहार 110. मणिधर 111. वितली 112. सुतली 113. तली 114. अतली 115. सुतलेश 116. पाताल 117. तलातल 118. रसातल 119. भोगितल 120. स्‍फूरद्वन्‍त 121. महातल 122. वासुकि 123. शङ्खचूडाभ 124. देवदत्त 125. धनंजय 126. कम्‍बलाश्व 127. वेगतर 128. धृतराष्‍ट 129. महाभुज 130. वारुणीमदमत्ताङ्ग 131. मदघूर्णित लोचन 132. पद्माक्ष 133. पद्ममाली 134. वनमाली 135. मधुश्रवा 136. कोटिकंदर्पलावण्‍य 137. नागकन्‍या समर्चित 138. नूपुरी 139. कटिसूत्री 140. कटकी 141. कनकाङ्गदी 142. मुकुटी 143. कुण्‍डली 144. दण्‍डी 145.शिखण्‍डी 146. खण्‍डमण्‍डली 147. कलि 148. कलिप्रिय 149. काल 150. निवातकवचेश्वर 151. सहारकृत 152. रुद्रवपु 153. कालाग्रि 154. प्रलय 155. लय 156. महाहि 157. पाणिनि 158. शास्‍त्रकार 159. भाष्‍य कार 160. पतञ्जलि 161. कात्‍यायन 162. फक्किकाभू 163. स्‍फोटायन 164. उरंगम 165. वैकुण्‍ठ 166. याज्ञिक 167. यज्ञ 168. वामन 169. हरिण 170. हरि 171. कृष्‍ण, 172. विष्‍णु 173. महा विष्‍णु 174. प्रभ विष्‍णु 175. विशेषवित् 176. हंस 177. योगेश्वर 178. कूर्म 179. वाराह 180. नारद 181. मुनि 182. सनक 183. कपिल 184. मत्‍स्‍य 185. कमठ 186. देवमंगल 187. दत्तात्रेय 188. पृथु 189. वृद्ध 190. ऋषभ 191. भार्गवोत्तम 192. धन्‍वन्तरि 193. नृसिंह 194. कल्कि 195. नारायण 196. नर कमलेश 197. रामचन्‍द्र 198. राघवेन्‍द्र 199. कोसलेन्‍द्र 200. रघूद्वह 201. काकुत्‍स्‍थ 202. करुणा सिन्‍धु 203. दाशरथि, त्राता 204. सर्वलक्षणा 205. शूर 206. दाशरथि 207. त्राता 208. कौसल्‍यानन्‍दवर्द्धन 209. सौमित्रि 210. भरत 211. धन्‍वी 212. शत्रुघ्र 213. शत्रुतापन 214. निषङ्गी 215. कवची 216. खडगी 217. शरी 218. ज्‍याहतकोष्‍ठक 219. बद्धगोधाङ्गुलित्राण 220. शम्‍भु–कोदण्‍डभज्जन 221. यज्ञत्राता 222. यज्ञ भर्ता 223. मारीचवध कारक 224. असुरारि 225. ताडकारि 226. विभीषणसहायकृत 227. पितृवाक्‍यकर 228. हर्षी 229. विराधारि 230. वनेचर 231. मुनि 232. मुनिप्रिय 233. चित्र-कूटारण्‍यनिवासकृत 234. कबन्‍धहा 235. दण्‍डकेश 236. राम 237. राजीवलोचन 238. मतङ्ग 239. वन संचारी 240. नेता 241. पच्चवटी पति 242. सुग्रीव 243. सुग्रीव सखा 244. हनुमत्‍प्रीतमानस 245. सेतुबन्‍ध 246. रावणारि 247. लङ्कादहनतत्‍पर 248. रावण्‍यरि 249. पुष्‍पकस्‍थ 250. जानकीविरहातुर 251. अयोध्‍याधिपति 252. श्रीमान् 253. लवणारि 254. सुरार्चित 255. सूर्यवंशी 256. चन्‍द्र वंशी 257. वंशीवाद्यविशारद 258. गोपति 259. गोप वृन्‍देश 260. गोप 261. गोपीशतावृत 262. गोकुलेश 263. गोप-पुत्र 264. गोपाल 265. गोगणाश्रय 266. पूतनारि 267. वकारि 268. तृणावर्त- निपातक 269. अघारि 270. धेनुकारि 271. प्रलम्‍बारि 272. व्रजेश्वर 273. अरिष्‍टहा 274. केशिशत्रु 275. व्‍योमासुरविनाशकृत 276. अग्निपान 277. दुग्‍धपान 278. वृन्‍दावनलता 279. आश्रित 280. यशोमतीसुत 281. भव्‍य 282. रोहिणीलालित 283. शिशु 284. रासमण्‍डल-मध्‍यस्‍थ 285. रासमण्‍डलमण्‍डन 286. गोपिकाशतयूथार्थी 287. शङ्खचूड-वधोद्यत 288. गोवर्धनसमुद्धर्ता 289. गोवर्धनसमुद्धर्ता 290. व्रज रक्षक 291. वृष भानुवर 292. नन्‍द 293. आनन्‍द 294. नन्‍दवर्द्धन 295. नन्‍दराजसुत 296. श्रीश 297. कंसारि 298. कालियान्‍तक 299. रजकारि 300. मुष्टिकारि 301. कंसकोदण्‍डभज्जन 302. चाणूरारि 303. कूट-हन्‍ता 304. शलारि 305. तोशलान्‍तक। 306. कंसभ्रातृनिहन्‍ता 307. मल्‍लयुद्ध-प्रवर्तक 308. गजहन्‍ता 309. कंसहन्‍ता 310. कालहन्‍ता 311. कलङ्गहा 312. मागधारि 313. यवनहा 314. पाण्‍डु-पुत्रसहायकृत 315. चतुर्भुज 316. श्‍यामलाङ्ग 317. सौम्‍य 318. औपगविप्रिय 319. युद्धभृत् 320. उद्धवसखा 321. मन्‍त्री 322. मन्‍त्रविशारद 323. वीरहा 324. वीरमथन 325. शङ्खधर 326. चक्रधर 327. गदाधर 328. रेवचित्ततीहर्ता 329. रेवतीहर्ष-वर्द्धन 330. रेवतीप्राणनाथ 231. रेवतीप्रिय-कारक 332. ज्‍योति 333. ज्‍योतिष्‍मीभर्ता 334. रैवताद्रिविहारकृत 335. धृतिनाथ 336. धनाध्‍यक्ष 337. दानाध्‍यक्ष 338. धनेश्वर 339. मैथिलार्चितपादापब्‍ज 340. मानद 341. भक्तवत्‍सल 342. दुर्योधन 343. गुर्वी 344. गदाशिक्षाकर 345. क्षमी 346. मुरारि 347. मदन 348. मन्‍द 349. अनिरुद्ध 350. धन्विनांवर 351. कल्‍पवृक्ष 352. कल्‍पवृक्षी 353. कल्‍पवृक्षवन-प्रभु 354. स्‍यमन्‍तकमणि 355. मान्‍य 356. गाण्‍डीवी 357. कौरवेश्वर 358. कूष्‍माण्‍ड–खण्‍डनकर 359. कूपकर्णप्रहारकृत 360. सेव्‍य 361. रेवतजामाता 362. मधुसेवित 363. माधवसेवित 364. बलिष्‍ठ 365. पुष्‍टसर्वागड़ 366. हष्‍ट 367. पुष्‍ट 368. प्रहर्षित 369. वाराणसीगत 370. क्रुद्ध 371. सर्व 372. पौण्‍ड्रकघातक 373. सुनन्‍दी 374. शिखरी 375. शिल्‍पी 376. द्विविदागड़-निषूदन 377. हस्तिनापुरसंकर्षी 378. रथी 379. कौरवपूजित 380. विश्वकर्मा 381. विश्वधर्मा 382. देवशर्मा 383. दयानिधि 384. महाराज 385. छत्रधर 386. महा-राजोपलक्षण 387. सिद्धगीत 388. सिद्धकथ 389. शुक्‍लचामरवीजित 390. ताराक्ष 391. कीरनास 392. बिम्‍बोष्‍ठ 393. सुस्मितच्‍छवि 394. करीन्‍द्र 395. करदोर्दण्‍ड 396. प्रचण्‍ड 397. मेघमण्‍डल 398. कपाटवक्षा 399. पीनांस 400. पद्मपाद 401. स्‍फुरद्द्युति 402. महाविभूति 403. भूतेश 404. बन्‍धमोक्षी 405. समीक्षण 406. चैद्यशत्रु 407. शत्रुसंध 408. दन्‍तवक्रनिषूदक 409. अजातशत्रु 410. पापघ्र 411. हरिदाससहायकृत 412. शालबाहु 413. शाल्‍वहन्‍ता 414. तीर्थयायी 415. जनेश्वर 416. नैमिषारण्‍य-यात्रार्थी 417. गोमतीतीरवासकृत 418. गण्‍डकीस्‍न्नानवान 419. स्‍त्रगवी 420. वैजयन्‍तीविराजित 421. अम्‍लान 422. पंकजधर 423. विपाशी 424. शोणसंप्‍लुत 425. प्रयागतीर्थराज 426. सरयू 427. सेतुबन्‍धन 428. गयाशिर 429. धनद 430. पौलस्‍त्‍य 431. पुलहाश्रम 432. गंगासागरसगांर्थी 433. सप्‍तगोदावरी-पति 434. वेणी 435. भीमरथी 436. गोदा 437. ताम्रपर्णी 438. वटोदका 439. कृतमाला 440. महापुण्‍या 441. कावेरी 442. पयस्विनी 443. प्रतीची 444. सुप्रभा 445. वेणी 446. त्रिवेणी 447. सरयूपमा 448. कृष्‍णा 449. पम्‍पा 450. नर्मदा 451. गंगा 452. भागीरथी 453. नदी 454. सिद्धाश्रम 455. प्रभास 456. बिन्‍दु 457. बिन्‍दुसरोवर 458. पुष्‍कर 459. सैन्‍धव 460. जम्‍बू 461. नरनारायणाश्रम 462. कुरुक्षेत्रपति 463. राम 464. जामदग्रय 465. महामुनि 466. इल्‍वलात्‍मजहन्‍ता 467. सुदामा 468. सौख्‍यदायक 469. विश्वजित 470. विश्वनाथ 471. त्रिलोकविजयी 472. जयी 473. वसन्‍तमालतीकर्षी 474. गद 475. गद्य 476. गदाग्रज 477. गुणार्णव 478. गुण-निधि 479. गुणपात्री 480. गुणाकर 481. रंगवल्‍ली 482. जलाकार 483. निर्गुण 484. सगुण 485. बृहत 486. दृष्‍ट 487. श्रुत 488. सगुण 489. बृहत् 490. भविष्‍यत 491. अल्‍पविग्रह 492. अनादि 493. आदि 494. आनन्‍द 495. प्रत्‍यग्‍धामा 496. निरन्‍तर 497. गुणातीत 498. सम 499. साम्‍य 500. समदृक 501. निर्विकल्‍पक। 502. गूढ 503. व्‍यूढ 504. गुण 505. गौण 506. गुणाभास 507. गुणावृत 508. नित्‍य 509. अक्षर 510. निर्विकार 511. क्षर 512. अजस्‍त्र सुख 513. अमृत 514. सर्वग 515. सर्ववित 516. सार्थ 517. सम बुद्धि 518. समप्रभ 519. अक्‍लेद्य 520. अच्‍छेद्य 521. आपूर्ण 522. अशोष्‍य 523. अदाह्म 524. अनिवर्तक 525. ब्रह्म 526. ब्रह्मधर 527. ब्रह्मा 528. ज्ञापक 529. व्‍यापक 530. कवि 231. अध्‍यात्‍म 532. अधिभूत 533. अधिदैव 534. स्‍वाश्रय 535. अश्रय 536. महावायु 537. महावीर 538. चेष्‍टा 539. रूपतनुस्थित 540. प्रेरक 541. बोधक 542. बोधी 543. त्रयोविंशतिकगण 544. अंशांश 545. नरावेश 546. अवतार 547. भूपरिस्थित 548. मह 549. जन 550. तप 551. सत्‍य 552. भू 553. भुव 554. स्‍व 555. नैमित्तिक 556. प्राकृतिक 557. आत्‍यन्तिकमय लय 558. सर्ग 559. विसर्ग 560. सर्गादि 561. निरोध 562. रोध 563. ऊतिमान 564. मन्‍वन्‍तरावतार 565. मनु 566. मनुसुत 567. अनघ 568. स्‍वयम्‍भू 569. शाम्‍भव 570. शंकु 571. स्‍वायम्‍भुवसहायकृत 572. सुरालय 573. देवगिरि 574. मेरु 575. हेम 576. अर्चित 577. गिरि 578. गिरीश 579. गणनाथ 580. गौरी 581. ईश 582. गिरिगहर 583. विन्‍ध्‍य 584. त्रिकूट 585. मैनाक 586. सुवेल 587. पारिभद्रक 588. पतंग 589. शिशिर 590. ककड़ 591. जारुधि 592. शैलसत्तम 593. कालञ्जर 594. बृहत्‍सानु 595. दरीभृत 596. नन्दिकेश्वर 597. संतान 598. तरुराज 599. मन्‍दार 600. पारिजातक 601. जयन्‍तकृत 602. जयन्‍ताङ्ग 603. जयन्‍ती 604. दिग् 605. जयाकुल 606. वृत्रहा 607. देवलोक 608. शशी 609. कुमुदबान्‍धव 610. नक्षत्रेश 611. सुधा 612. सिन्‍धु 613. मृग 614. पुष्‍य 615. पुनर्वसु 616. हस्‍त 617. अभिजित 618. श्रवण 619. वैधृ‍त 620. भास्‍करोदय 621. ऐन्‍द्र 622. साध्‍य 623. शुभ 624. शुक्‍ल 625. व्‍यतीपात 626. ध्रुव 627. सित 628. शिशुमार 629. देवमय 630. ब्रह्मलोक 631. विलक्षण 632. राम 633. वैकुण्‍ठनाथ 634. व्‍यापी 635. वैकुण्‍ठनायक 636. श्वेतद्वीप 637. अजितपद 638. लोकालोकचलाश्रित 639. भूमि 640. वैकुण्‍ठदेव 641. कोटिब्रह्माण्‍डकारक 642. असंख्‍यब्रह्माण्‍डपति 643. गोलोकेश 644. गवां पति 645. गोलोकधामधिषण 646. गोपिकाकण्‍ठभूषण 647. ह्रीधर 648. श्रीधर 649. लीलाधर 650. गिरिधर 651. धुरी 652. कुन्‍तधारी 653. त्रिशुली 654. बीभत्‍सी 655. घर्घरस्‍वन 656. शूलार्पितगज 657. सूच्‍यर्तितगज 658. गजचर्मधर 659. गजी 660. अन्‍त्रमाली 661. मुण्‍डमाली 662. व्‍याली 663. दण्‍डकमण्‍डलु 664. वेतालभृत् 665. भूतसंघ 666. कूष्‍माण्‍डगणसंवृत 667. प्रमथेश 668. पशुपति 669. मृडानी 670. ईश 671. मृड 672. वृष 673. कृतान्‍त-संघारि 674. कालसंघारि 675. कूट 676. कल्‍पान्‍तभैरव 677. षडानन 678. वीरभद्र 679. दक्षयज्ञ-विघातक 680. खर्पराशी 681. विषाशी 682. शक्तिहस्‍त 683. शिवा 684. अर्थद 685. पिनाकटंकारकर 686. चलज्‍झंकार-नूपुर 687. पण्डित 688. तर्क-विद्वान् 689. वेद पाठी 690. श्रुतीश्वर 691. वेदान्‍तकृत 692. सांख्‍यशास्‍त्री 693. मीमांसी 694. कणनामभाक् 695. काणादि 696. गोतम 697. वादी 698. वाद 699. नैयायिक 700. छन्‍द 701. वैशेषि‍क 702. धर्मशास्‍त्री 703. सर्व-शास्‍त्रर्थतत्त्वग 704. वैयाकरण कृत् 705. छन्‍द 706. वैयास 707. प्राकृति 708. वच 709. पाराशरीसंहितावित् 710. काव्‍यकृत् 711. नाटकप्रद 712. पौराणिक 713. स्‍मृति-कर 714. वैद्य 715. विद्याविशारद 716. अलंकार 717. लक्षणार्थ 718. व्‍यड्ग्‍यवित् 719. ध्‍वनिवित् 720. ध्‍वनि 721. वाक्‍यस्‍फोट 722. पदस्‍फोट 723. स्‍फोटवृति 724. रसार्थवित 725. श्रृगार 726. उज्‍जवल 727. स्‍वच्‍छ 728. अद्भुत 729. हास्‍य 730. भयानक 731. अश्वत्‍थ 732. यवभोजी 733. यवक्रीत 734. यवाशन 735. प्रह्लादरक्षक 336. स्निग्‍ध 737. ऐलवंशविवधर्नन 738. गताधि 739. अम्‍बरीषाङ्ग 740. विगाधि 741. गाधीनां वर 742. नानामणिसमाकीर्ण 743. नानारत्न विभूषण 744. नानापुष्‍पधर 745. पुष्‍पी 746. पुष्‍पधन्‍वा 747. प्रपुष्पित 748. नानाचन्‍दगन्‍धाढय 749. नानापुष्‍प–रसार्चित 750. नानावर्णमय 751. वर्ण 752. सदा नानावस्‍त्रधर 753. नानापद्माकर 754. कौशी 755. नानाकौशेयवेषधृक् 756. रत्नकम्‍बलधारी 757. धौतवस्‍त्रसमावृत 758. उत्तरीयधर 759. पूर्ण 760. घन-कञ्जुकवान 761. संघवान 762. पीतोष्‍णीष 763. सितोष्‍णीष 764. रक्तोष्‍णीष 765. दिगम्‍बर। 766. दिव्‍याङ्ग 767. दिव्‍यरचन 768. दिव्‍यालोकविलोकित 769. सर्वोपम 770. निरूपम 771. गोलोकांकीकृताकंन 772. कृतस्‍वोत्‍संगगोलोक 773. कुण्‍डली 774. भूत 775. आस्थित 776. माथुर 777. मथुरा 778. आदर्शी 779. चलत्‍खञ्जन-लोचन 780. दधिहर्ता 781. दुग्‍धहर 782. नवनीत-सिताशन 783. तक्रभुक 784. तक्रहारी 785. दधिचौर्यकृतश्रम 786. प्रभावतीबद्धकर 787. दामी 788. दामोदर 789. दमी 790. सिकताभूमिचारी 791. बालकेलि 792. व्रजार्भक 793. धूलिधूसरसर्वांग 794. काकपक्षधर 795. सुधी 796. मुक्तकेश 797. वत्‍सवृन्‍द 798. कालिन्‍दीकूलवीक्षण 799. जलकोलाहली 800. कूली 801. पंकजप्रागणलेपक 802. श्री वृन्‍दावनसंचारी 803. वंशीवटतटस्थित 804. महावननिवासी 805. लोहार्गलवनाधिप 806. साधु 807. प्रियतम 808. साध्‍य 809. साध्‍वीश 810. गतसाध्‍वस। 811. रंगनाथ 812. विट्ठलेश 813. मुक्तिनाथ 814. अघनाशक 815. सुकीर्ति 816. सुयशा 817. स्‍फीत 818. यशस्‍वी 819. रंगरज्जन 820. रागषट्क 821. रागपुत्र 822. रागिणी 823. रमणोत्‍सुक 824. दीपक 825. मेघमल्‍लार 826. श्री राग 827. मालकोशक 828. हिन्‍दोल 829. भैरवाख्‍य 830. स्‍वर-जातिस्‍मर 831. मृदु 832. ताल 833. मान 834. प्रमाण 835. स्‍वरगम्‍य 836. कलाक्षर 837. शमी 838. श्‍यामी 839. शतानन्‍द 840. शतयाम 841. शतक्रतु 842. जागर 843. सुप्‍त 844. आसुप्‍त 845. सुषुप्‍त 846. स्‍वप्‍न 847. उर्वर 848. ऊर्ज 859. स्‍फुर्ज 850. निर्जर 851. विज्‍वर 852. ज्‍वरवर्जित 853. ज्‍वरजित् 854. ज्‍वरकर्ता 855. ज्‍वरयुक्त 856. त्रिज्‍वर 857. ज्‍वर 858. जाम्‍बवान् 859. जम्‍बुकाशङ्गी 860. जम्‍बूद्वीप 861. द्विपारिहा 862. शाल्‍मलि 863. शाल्‍मलिद्विप 864. प्‍लक्ष 865. प्‍लक्षवनेश्वर 866. कुशधारी 867. कुश 868. कौशी 869. कौशिक 870. कुशविग्रह 871. कुशस्‍थलीपति 872. काशीनाथ 873. भैरवशासन 874. दाशार्ह 875. सात्‍वत 876. वृष्णि 877. भोज 878. अन्‍धकनिवासकृत 879. अन्‍धक 880. दुन्‍दुभि 881. द्योत 882. प्रद्योत 883. सात्‍वतां पति 884. शूरसेन 885. अनुविषय 886. भोजेश्वर 887. वृष्‍णीश्वर 888. अन्‍धकेश्वर 889. आहुक 890. सर्वनीतिज्ञ 891. उग्रसेन 892. महोग्रवाक 893. उग्रसेनप्रिय 894. प्रार्थ्‍य 895. प्रार्थ 896. यदुसभापति 897. सुधर्माधिपति 898. सत्व 899. वृष्णिचक्रावृत 900. भिषक 901. सभाशील 902. सभादीप 903. सभाग्नि 904. सभारवि 905. सभाचन्‍द्र 906. सभाभास 907. सभादेव 908. सभापति 909. प्रजार्थद 910. प्रजाभर्ता 911. प्रजा-पालनतत्‍पर 912. द्वारकादुर्गसंचारी 913. द्वारकाग्रहविग्रह 914. द्वारकादु:खसंहर्ता 915. द्वारकाजन-मंगल 916. जगन्‍माता 917. जगत्‍त्राता 918. जगद्भर्ता 919. जगत्पिता 920. जगद् बन्‍धु 921. जगद्धाता 922. जगन्मित्र 923. जगत्‍सख 924. ब्रह्मण्‍य-देव 925. ब्रह्मण्‍य 926. ब्रह्मपादरजो दधत् 927. ब्रह्मपादरज:स्‍पर्शी 928. ब्रह्मपाद-निषेवक 929. विप्राड्घ्रिजलपूताङ्ग 930. विप्रसेवापरायण 931. विप्रमुख्‍य 932. विप्रहित 933. विप्रगीतमहाकथ 934. विप्रपादजलार्द्राङ्ग 935. विप्रपादोदकप्रिय 936. विप्रभक्त 937. विप्रगुरु 938. विप्र 939. विप्रपदानुग 940. अक्षौहिणीवृत 941. योद्धा 942. प्रतिमापञ्चसंयुक्त 943. चतुर 944. अगडि़रा 945. पद्मवर्ती 946. सामन्‍तोद् धृतपादुक 947. गजकोटि-प्रयायी 948. रथकोटिजयध्‍वज 949. महारथ 950. अतिरथ 951. जैत्रस्‍यन्‍दनमास्थित 952. नारायणास्‍त्री 953. ब्रह्मास्‍त्री 954. रणश्‍लाघी 955. रणोद्भट 956. मदोत्‍कट 957. युद्धवीर 958. देवासुर-भयंकर 959.करिकर्णमरुत्‍प्रेजत्‍कुन्‍तल-व्‍याप्‍तकुण्‍डल 960. अग्रग 961. वीरसम्‍मर्द 962. मर्द्दल 963. रणदुर्मद 964. भटप्रतिभट 965. प्रोच्‍य 966. बाणवर्षी 967. इषुतोयद 968. खड्गखणिडतसर्वाङ्ग 969. षोडशाब्‍द 970. षडक्षर 971. वीरघोष 972. अक्लिष्‍टवपु 973. वज्रागड़ 974. वज्रभेदन 975. रुग्‍णवज्र 976. भग्रदन्‍त 977. शत्रु-निर्भर्त्‍सनोद्यत 978. अट्टहास 979. पट्टधर 980. पट्टराज्ञीपति 981. पटु 982. कल 983. पटहवादित्र 984. हुंकार 985. गर्जितस्‍वन 986. साधु 987. भक्तपराधीन 988. स्‍वतन्‍त्र 989. साधुभूषण 990. अस्‍वतन्‍त्र 991. साधुमय 992. मनाकसाधुग्रस्‍तमना 993. साधुप्रिय 994. साधुधन 995. साधुज्ञाति 996. सुधा-घन 997. साधुचारी 998. साधुचित्त 999. साधुवश्‍य 1000. शुभास्‍पद महात्‍म्‍य अध्‍ययन

यह बलभद्र सह सहस्रनाम सभी सिद्धि तथा लक्ष्‍मी, वैभव, मोक्ष फल बल तथा तेज प्रदान करने वाला है। संतान तथा पुत्र प्राप्त करने के किये सहस्रनाम पाठ का प्रचालन है,  इसके नियमतः पाठ से रोगी काया निरोगी हो जाती है ! घोर पापी मनुष्‍य भी यदि इस सहस्रनाम का पाठ करता है तो उसके सारे पाप धुल जाते हैं और वह इस लोक में सम्‍पूर्ण सूखों का उपभोग करके अन्‍त में परलोक गमन करता है |

[1] नारदजी कहते है- अच्‍युताग्रज श्रीबलभद्रजी इस पंचाग को सुनकर धृतिमान दुर्योधन ने सेवा-भाव तथा परम भक्ति के साथ प्राडविपाक मुनि की पूजा की। तदनन्‍तर मुनीन्‍द्र प्राडविपाक जी ने दुर्योधन को आशीर्वाद देकर उनकी अनुमति प्राप्‍त कर हस्तिनापुर से अपने आश्रम को गमन किया। परम ब्रह्म परमात्‍मा भगवान अनन्‍त श्रीबलभद्रजी की कथा को जो पुरुष सुनता अथवा सुनाता है, वह आनन्‍दमय बन जाता है। नृपेन्‍द्र ! मैं आपके सामने इन सब मनोरथों को पूर्ण करने वाले बलभद्र खण्‍ड का वर्णन कर चुका। जो मनुष्‍य इसका श्रवण करता है, वह भगवान श्रीहरि के शोक रहित अखण्‍ड आनन्‍दमय धाम को प्राप्‍त हो जाता है।

इस प्रकार श्रीगर्ग संहिता में श्रीबलभद्र खण्‍ड के अन्‍तर्गत प्राडविपाक दुर्योधन संवाद में ‘श्री बलभद्र सहस्र’ नाम पूरा हुआ। 

संपादक Manoj Kumar Shah

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