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आज श्री गुरु दत्तात्रेय जयंती
—————————————- भगवान श्री कार्तवीर्य सहस्रार्जुन, भगवान दत्तात्रेय जी के विशेष कृपापात्र, प्रिय शिष्य थे और उन्होंने कार्तवीर्य सहस्रार्जुन की सेवा से प्रसन्न होकर उनको सर्वाधिक सिद्धि एवं वरदान दिए थे। सहस्र बाहु अर्थात हजार हाथ के समान बलशाली होने का वरदान भी भगवान दत्तात्रेय ने ही दिया था, जिसके बाद महाराजा कृतवीर्य के पुत्र कार्तवीर्य अर्जुन सहस्रार्जुन एवं सहस्रबाहु कहलाए। हैहय वंशीय क्षत्रियों के आराध्य राजराजेश्वर भगवान श्री सहस्रार्जुन के गुरुवर्य भगवान श्री दत्तात्रेय की जयंती मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है, इस पूर्णिमा को दत्त पूर्णिमा भी कहा जाता है।
इस वर्ष भगवान श्री दत्तात्रेय की जयंती मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा बुधवार 11 दिसंबर 19 को है।
श्री कार्तवीर्याय अर्जुन
न तस्य वित्तनाशोSस्ति नष्टं प्रतिलभेच्च सः।
कार्तवीर्यस्य यो जन्म कीर्तयेदिह नित्यशः।।
हैहय क्षत्रिय वंश के कुलदीपक, कलचुरियों (कलाल, कलार, कलवार) के पूर्वज एवं आराध्य, भगवान श्री विष्णु के सुदर्शन चक्र अवतारी, महाराजा कृतवीर्य और महारानी पद्मिनी के सुपुत्र, भगवान दत्तात्रेय के शिष्य, नर्मदा तट पर अपनी राजधानी माहिष्मती ( कुछ इसे महेश्वर, जि. खरगोन, म.प्र. तो कुछ मंडला, जि मंडला, म.प्र. मानते है ) के कारागृह में दशानन लंकेश रावण को बंदी बनाकर रखनेवाले चक्रवर्ती महाराज, कई राजसुय यज्ञ करनेवाले बाहुबली, सप्तदीपेश्वर, चंद्रवंशी सम्राट, तंत्र-मंत्र के जनक भगवान राजराजेश्वर कार्तवीर्यार्जुन (कई ग्रंथों और पुराणों में सहस्रबाहु / सहस्रार्जुन भी लिखा हुआ है।) का जन्म कार्तिक शुक्ल सप्तमी को हुआ था। कालांतर में श्री सहस्रार्जुन के वीर, प्रतापी वंशजो ने कलचुरि राज की स्थापना कर कलचुरि संवत् का प्रारंभ किया और 1200 साल तक विश्व के कई स्थानों पर शासन किया। दीपावली कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा 2019 से कलचुरि संवत 1772 का प्रारंभ हुआ है।
पवन नयन जायसवाल
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