अखिल असम कलवार समाज का संविधान

धारा १ : नाम और पता

संस्था का नाम अखिल असम कलवार समाज होगा। आगे संस्था, समाज अथवा महासभा से इसी का बोध होगा। अभी तक जिला समितियां जिस नाम से भी बनी है वह मान्य है। परन्तु प्रथम अधिवेशन के पश्चात जो भी समिति बनेगी उसका नाम राज्य संस्था के अनुरूप होगा।

वर्तमान समय में समाज का कार्यालय हाउस नं ७२, बी. के. काकती रोड, रेहाबाड़ी, गुवाहाटी ७८१००८ है। समयानुसार एवं आवश्यकतानुसार कार्यकारिणी समिति के बहुमत से कार्यालय को राज्य में कही भी स्थांतरित किया जा सकता है। इसकी सूचना समिति पंजीयक को संस्था के महासचिव द्वारा दी जाएगी।

 धारा २ :  उद्देश्य  

(क) असम राज्य के सभी जाति जनजाति के हित में धर्म, वर्ण, भाषा आदि के सामाजिक, अर्थनैतिक, शैक्षिक, नैतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्थान के लिये समाज के द्वारा हमेशा अग्रणी भूमिका निभाना या प्रयास करना ।

(ख) असम राज्य के विभिन्न स्थानों पर निवास करने वाले कलवार समूदाय के लोगो को संगठित करना और उनके हितों की रक्षा हेतु निरंतर प्रयास करना।    

(ग)  कलवार समुदाय की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, नैतिक, सांस्कृतिक औरआध्यात्मिक उन्नति करना।

(घ)  समुदाय के स्त्री-पुरूषों, बालक-बालिकाओ को आदर्श और सचेतन नागरिक बनाने हेतु समय- समय पर गोष्ठियों, सभाओं और सम्मेलनों का आयोजन करना ।

ङ)  समुदाय के वृद्धो, विधवाओ, परित्यक्ताओं, असहायो की सहायता करना और सामूहिक विवाह को लोकप्रिय करना। 

(च)  समुदाय के लोगो के सुविधा हेतु धर्मशालाओ, अतिथि गृहो, विद्यालयों, पुस्तकालयों आदि का निर्माण करना। 

(छ)  समाज के लोगो में व्याप्त दहेज प्रथा और सभी तरह की कुप्रथा के विरुद्ध जागरुकता पैदा करना।

(ज)  अपनी विचारधारा, कार्यक्रम, प्रगति एवं अन्य संगठनात्मक क्रिया कलापों के प्रचार हेतु पत्रिका आदि का समय-समय पर प्रकाशन करना ।

(झ)  देश-विदेश में बसे हुए समाज के बन्धुओ से सम्पर्क करना और उन्हें संगठन से जोड़ना।

(ञ)  संपूर्ण मानव समाज के हित के लिए राष्ट्रीय तथा लोक उपयोगी कार्यो में संस्था के तरफ से यथोचित सहयोग प्रदान करना।

(ट)  राष्ट्र एवं असम राज्य की सर्वभौमिकता, अखण्डता एवं एकता की रक्षा करते हुए अपने सम्मानित जीवन, अस्तित्व एवं अधिकारो के प्रति सजग रहना तथा जनतांत्रिक मूल्यों के अनुसार संघर्ष करना। छात्र-छात्राओं के लिये छात्रावास की व्यवस्था करना ।

धारा – ३ – झंडा

झंडा (सिल्क कपड़ा) जिसका मुल रंग नारंगी होगा, जिसका अनुपात २/३ का होगा, यानी दायी तरफ से वायी तक आकार १५० से. मी. हो तो उँचाई उपर से नीचे तक १०० से.मी. होगी। झंडे के ठिक बीच में उजाला रंग का एक वृत होगा जिसे हम पूर्ण रूप से चन्द्र देव का रुप मानेगे और इस वृत के बिच मे हमारे कुल शिरोमणि श्री श्री सहस्त्रार्जुन महाराजजी का प्रतीक चिन्ह धनुष-बाण एवं कुल देवता श्रीश्री बलभद्रजी महाराज का प्रतीक चिन्ह हल लाल रंग से बनेगी और इस वृत के चारो तरफ लाल रंग के नर-नारी का प्रतिक चिन्ह १४ नर और १४ नारी कुल २८ यानी सामान भाग हाथ से हाथ जोड़कर निरन्तर कदम से कदम मिलाये वृत के चारो तरफ घुम रही है। इसका तातपर्य यह है की असम के २८ जिलो के कलवार भाईयों और बहनो का समान सहयोग है।

धारा ४ – कार्यक्षेत्र

समाज या महासभा का कार्यक्षेत्र समग्र असम राज्य होगा।

धारा – ५ – संगठनात्मक ढाँचा

१ केन्द्रीय स्तर

केन्द्रीय कार्य कारिणी समिति – इस समिति का अधिकतम सदस्य संख्या ८७ होगा। समिति का गठन प्रत्येक तीन वर्षों में होने वाली साधारण सभा (अधिवेशन) में होगा। इन सदस्यों में निम्नलिखित पदाधिकारी होंगे, जिनका चुनाव साधारण सभा मतदान (मौखिक या मतपत्र) द्वारा करेगी।

१. अध्यक्ष १

२. कार्यकारी अध्यक्ष १

३. उपाध्यक्ष  ६   (प्रत्येक क्षेत्र से १)

४. महासचिव १

५. सचिव  (प्रत्येक क्षेत्र से १)

६॰ संयुक्त सचिव १२

७. कोषाध्यक्ष १

८. प्रतिनिधि ५४ (प्रत्येक जिला से २)

९. मनोनित सदस्य ३

१०.सलाहकार ५             

११ हिसाब परीक्षक २

एक तिहाई पद महिलाओं के लिये आरक्षित रहेगा। किसी कारणवश महिलाओं की संख्या अगर कम होती है तो उन पदों पर पुरुष बहाल होंगे। प्रत्येक क्षेत्र से उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव के पदों के लिये नाम मनोनीत या चयन साधारण सभा में करेंगे। जिला समितिया प्रतिनिधियों का नाम मनोनीत करेंगी। अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्ष, महासचिव और कोषाध्यक्ष का चयन साधारण सभा करेगी। जहांअखिल असम कलवार समाज का मुख्य कार्यालय होगा उस जिले से ३ अतिरिक्त प्रतिनिधि रहेंगे। केन्द्रीय कार्यकारिणी समिति में पदासीन सदस्य जिला समिति में कार्यकारिणी सदस्य के अलावा अन्य पद पर नहीं रह सकते। अर्थात एक व्यक्ति एक पद नई समिति के गठन प्रक्रिया में इस बात का ध्यान रखा जायेगा कि जो नये सदस्य मनोनीत / निर्वाचित होंगे उनमें ५०% नये सदस्य होंगे। कोई भी व्यक्ति केन्द्रीय समिति का सदस्य या पदाधिकारी लगातार दो बार से ज्यादा नहीं बन सकता। न्यूनतम एक कार्यकाल के अंतराल पर वे फिर से समिति का पदाधिकारी बन सकते हैं।

२॰  जिला समिति का गठन प्रक्रिया

१. प्रशासकिये जिला के भीतर में समाज के स्वजातिय सदस्यों द्वारा (जो ३०० रुपया देकर वार्षिक सदस्य बने है)

२. प्रशासकीये जिला के भीतर मे निर्वाचित स्वजातिय जिला परिषद के सदस्य, पंचायत के सभापति आंचलिक पंचायत के सदस्य, पौरसभा के सभापति एवं वार्ड मेम्बर |

३. प्रशासकीये जिला के भीतर मे यदि कोई आँचलिक समिति का गठन हुआ है तो उस आँचलिक समिति का सभापति एवं सम्पादक और आँचलिक समिति द्वारा निर्वाचित १० जिला प्रतिनिधि।

४. प्रशासकीये जिला के भीतर मे स्वजातीये सांसद, विधायक।

५. जिला के केन्द्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारी एवं सदस्य।

६. प्रशासकीये जिला के भीतर में यदि कोई महिला समिति एवं युवा समिति का गठन हुआ है तो उसके सभानेत्री एवं सभापति तथा प्रत्येक का ५ अतिरिक्त , निर्वाचित सदस्य । इन सभी सदस्यों को लेकर जिला का अधिवेशन / सभा होगा।

इन सभी सदस्यों में से जनसंख्या के हिसाब से कम से कम १० और अधिक से अधिक २५ सदस्यों द्वारा जिला कार्यकारिणी समिति का गठन होगा।

जिसमें से –

१. अध्यक्ष – १

२. कार्यकारी अध्यक्ष – १

३.  उपाध्यक्ष  – १

४. महासचिव – १

५. सचिव – २

६. संयुक्त सचिव – ४ 

७. कोषाध्यक्ष – १

८.  कार्यकारी सदस्य  – ११

९.  सहालकार   – २

१० हिसाव परीक्षक  – २

और 5  मनोनीत कार्यकारी सदस्य होंगे जो केन्द्रीय समिति के अध्यक्ष द्वारा जिला साधारण सभा के सदस्य में से मनोनीत किये जायेंगे। इनके अलावा ५ केन्द्रीय समिति के प्रतिनिधि को निर्वाचित करना होगा। इसके अतिरिक्त उस जिला में जो संस्था के आजीवन सदस्य है वो जिला कार्यकारणी समिति के स्थाई (परमामेनट) सदस्य रहेगें। जिला के अन्दर स्वजातीय सांसद, विधायक केन्द्रीय समिति के कार्यकारिणि के पदाधिकारी, कार्यकारी सदस्य, उक्त जिला के महीला संगठन के सभानेत्री, युवा मंच के अध्यक्ष और जिला के भीतर निर्वाचित स्वजातीये जिला परिषद के सभापति, आँचलिक पंचायत के सभापति, नगर पालिका के सभापति, पौरसभा के सभापति, ये लोग जिला कार्यकारिणी समिति के पदेन सदस्य के रुप में अतिरिक्त से सामिल होंगे। पदेन सदस्य का भोटाधिकार होगा किन्तु कोई भी पद नही ले सकेगें। पिछले जिला कार्यकारिणि समिति के अध्यक्ष एवं महासचिव कार्यकारिणी समिति का सलाहकार होगें।

व्याख्या :-

केन्द्रीय कार्यकारिणी यदि कोई अन्य निश्चय न करे तो जिला का कार्य क्षेत्र सामान्यत: सम्बन्धित प्रशासकीय सीमा के ही समान होगा। केन्द्रीय समिति को सुचारु रूप से संचालन करने के लिये पूरें राज्य को छः क्षेत्रों में बाटा गया है।

(१) पश्चिम क्षेत्र धूबड़ी, कोकराझाड़, बोंगाईगांव, बरपेटा, नलवाड़ी, बाक्सा, चिराग और    गोवालपाड़ा ।

(२) पूर्व क्षेत्र (क) तिनसुकिया, डिब्रुगढ़।

(३) पूर्व क्षेत्र (ख) शिबसागर, जोरहाट, गोलाघाट। (४) उत्तर क्षेत्र – धेमाजी,

   लखिमपुर, शोणितपुर, दरंग, उदालगुड़ी

(५) दक्षिण क्षेत्र – डिमा हासाओ, काछार, हाइलाकांड़ी और करिमगंज ।

(६) मध्य क्षेत्र – कामरुप (नगर / ग्रामीन), मोरीगांव, नगाउँ और कार्वि आंगलंग |

व्याख्या :

  (क) जिला – इस संविधान में उल्लेखित जिला का बोध असम सरकार द्वारा स्वीकृत जिलाओं को ही किया गया है।

  (ख) जिला समिति – इस संविधान में उल्लेखित जिला समिति का बोध एक या उससे अधिक जिलाओं द्वारा गठित समिति को ही किया गया है। (जैसे कि लखीमपुर और धेमाजी जिलाओं को मिलाकर एक जिला समिति का गठन किया गया है)।

धरा ६ सदस्यता और सदस्यता शुल्क     

(१) समाज का १८ वर्ष या इससे अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति, जो इस संविधान की धारा २ को स्वीकार करता है और निर्धारित शुल्क अदा करता है, वह समाज का सदस्य बन सकता है।

(२) कोई भी व्यक्ति अपने स्थायी निवास स्थान पर अथवा उस जगह पर जहाँ पर अपना काम काज करता हो, समाज का सदस्य बन बन सकेगा। 

(३) मृत्यु, त्याग पत्र अथवा निष्कासन से सदस्यता समाप्त हो जायगी।

व्याख्या : 

(१) साधारणत: १८ वर्ष या इससे अधिक आयु का कोई भी एक व्यक्ति संस्था का सदस्यता ग्रहण कर अपने पूरे परिवार का प्रतिनिधित्व कर सकता है। 

(२) संगठन का जनप्रियता वृद्धि और संगठन को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित मंच का गठण करना होगा (क) युवक-युवती और छात्र छात्री सभी को लेकर जिला और केन्द्रीय स्तर पर एक युवा मंच का गठन होगा। जिसमें युवक-युवतीयों का आयु कम से कम १६ बर्ष और अधिक से अधिक ४० बर्ष होगा। केवल युवा मंच के अध्यक्ष का आयु ५० बर्ष का होगा। 

(३)  महिलाओ के लिए महिला मंच / समिति का गठन होगा। इन मंचो का अपना संविधान नही होगा उन्हे अखिल असम कलवार समाज के संविधान को मान कर ही चलना होगा। मंचो का झंडा का रंग एक ही होना होगा। केवल झंडा का अंश के चिन्ह में उनका चिन्ह साथ में होगा और ये सारे मंच अखिल असम कलवार समाज के अधिन रहेंगे। 

मनोनित विशेष सदस्यों के अतिरिक्त अन्य सदस्य चार प्रकार को होंगे और निम्नलिखित सदस्यता शुल्क अदा करेंगे |

१ साधारण वर्ग / ३००रुपये  / वार्षिक

२  आजीवन वर्ग / ५,००० रुपये/  वार्षिक

३ संरक्षक वर्ग  / १५००० रुपये/आजीवन (जिला कार्यकारिणी समिति के स्थाई सदस्य रहेंगे।)

४ विशिष्ट सदस्य/ २५,००० रुपये या अधिक/(केन्द्रीय कार्यकारिणी समिति के स्थाई सदस्य रहेंगे।)

५ साधारण और आजीवन सदस्यों से प्राप्त शुल्क जिला समिति के संचित कोष में जमा होगा और

६  निम्नलिखित अनुपात में संस्था की केन्द्रीय समिति और जिला सिमित में विभाजित होगा। केन्द्रीय समिति  २० प्रतिशत;  जिला समिति ८० प्रतिशत

व्याख्या :- संरक्षक और विशिष्ट संरक्षक सदस्यों का शुल्क केन्द्रीय समिति को संचित कोष में जमा होगा और निम्नलिखित अनुपात में विभाजित होगा केन्द्रीय समिति ७५ प्रतिशत; जिला समिति २५ प्रतिशत

(७) (१) समाज के सदस्यता प्रपत्र केन्द्रीय समिति द्वारा छापे जायेंगे।

(२) सदस्यता प्रपत्रो पर क्रमवार संख्या डाली जायेगी। उनपर केन्द्रीय समिति के अध्यक्ष के प्रतिकृति हस्ताक्षर होंगे ।

(३)  सदस्यता प्रपत्र पुस्तिकाओं के रुप में होंगे जिसमे २५ फार्म रहेंगे। 

(४) सदस्य बनाने का उत्तरदायित्व मख्यतः जिला समितियां का होगा। केन्द्रीय समिति जिला समितियों को सदस्यता प्रपत्र जारी करेंगी। एक जिला समिति को एक बार में २५० से अधिक सदस्यता प्रपत्र प्रदान नहीं किये जायेंगे। उस जिला समिति को अधिक सदस्यता प्रपत्र तभी प्रदान किये जायेंगे जब वह पहले के प्रपत्रों का पूरा हिसाब और शुल्क केन्द्रीय समिति को सौप देगा ।

(५) सदस्यता प्रपत्त प्रदान करते समय उनेक प्राप्त होने के संबन्ध में हस्ताक्षरित पावती ली जायगी। 

(६) प्रत्येक सत्र के लिये सदस्य बनाने हेतु निश्चित अन्तिम तिथि की समाप्ति के एक महीने के अन्दर वर्ष के दौरान बनाये गये सदस्यों के सम्बनध में पूरा प्रतिवेदन समस्त जिला समितियों द्वारा केन्द्रीय समिति को भेजनी होगी।

(७) ऐसी जिला समितियां जो इन नियमों का पालन नहीं करेगी, उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कारवाई की जायेगी।

(८) सदस्यता की अवधि वित्तीय वर्ष के अनुसार होगी।

(९) संस्था के तृ-वार्षिक चुनाव के साधारणतया समय सारिणी इस प्रकार रहेगी । 

सदस्य भर्ती करने की अन्तिम तिथि  ३० सितम्बर तक।

जिला समितियों का चुनाव ३० नवम्बर तक।

महाधिवशन सामान्यतः जनबरी में.

धारा ७ – कार्यकाल 

१. केन्द्रीय समिति और प्रत्येक समिति का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा।

२. केन्द्रीय समिति का चुनाव महाअधिवेशन के दौरान होगा। जिला समितियाँ ३० सितंबर तक मतदाता सूची तैयार करेंगी और केन्द्रीय समिति का चुनाव इसी सूची के आधार परा किया जायेगा।

धारा – ८ – सदस्य पंजिका

(१) सदस्यों की स्थायी पंजिका जिला समितियों द्वारा तैयार की जायेगी। जिसे केन्द्रीय कार्यकारिणी निर्धारित नियमों के अनुसार प्रमाणित करेगी।

(२) उपधारा (१) के अन्तर्गत तैयार की गई पंजिकाओ प्रत्येक सदस्य का पूरा नाम, पता, आयु, व्यवसाय, निवास स्थान का पता, सदस्यता फार्म का क्रमांक और भर्ती की तारीख का उल्लेख रहेगा। 

धारा ९ – उम्मीदवारों की योग्यतायें

(१) प्रत्येक सदस्य, जिस जिला मे वह सदस्य बना है, उस जिला समिति के चुनाव में मतदाता करने और चुनाव में लड़ने का अधिकारी है। 

(२) केन्द्रीय समिति इस संबन्ध में आवश्यकता अनुसार नियम बनाने के • लिए सक्षम होगी।

धारा – १०- जिला

(१) प्रत्येक जिला के अध्यक्ष निर्वाचित सदस्यों में से अधिक से अधिक दो उपाध्यक्ष, एक महासचिव, एक कोषधक्ष एवं अधिक से अधिक तीन सचिव नामांकित करेगा। इन पदाधिकारियो का नामांकन चुनाव के एक महीने के अन्दर ही कर दिया जायेगा

(२) जिला समितियों का गठन केन्द्रीय समिति के गठन से एक महीने पहले साधारण सभा के द्वारा करना होगा, यानी नवम्बर के ३० तारीख के भीतर में जिला समितियों का गठन होना होगा तभी केन्द्रीय समिति का गठन ५ या ६ जनवरी को सम्भव होगा जो जिला समिति इस

समय पर गठन नही होगा उनके प्रतिनिधि को केन्द्रीय समिति में शामिल नही किया जायेगा। जिला समिति गठन करते समय केन्द्रीय समिति अपना प्रतिनिधि (पर्यवेक्षक) भेजेगी जिसकेदेख रेख में जिला समिति का गठन होगा। इस संविधान में उल्लेखित जिला का बोध असम सरकार द्वारा स्वीकृत जिलाओं को ही किया गया है और इन्हीं सब जिलाओं को जिला

समिति का दर्जा दिया गया है। महकुमा और नगर पर्याय समिति को आँचलिक या नगर शाखा का दर्जा दिया गया है। और वे सब जिला समिति के अधिन ही रहेगें तथा जिला समिति के निर्देशों का पालन करेगें। जो आँचलिक या नगर शाखा इन नियमों का पालन नहीं करेंगे उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कारवाई की जायेगी।

धारा ११ केन्द्रीय

कार्यकारिणी समिति

(१) केन्द्रीय कार्यकारिणी में अध्यक्ष तथा अधिक से अधिक ८६ सदस्य होंगे। अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्ष, महासचिब और कोषाध्यक्ष का चुनाव एक निर्वाचक मण्डल द्वारा किया जायेगा, जिसमे वोट देने का अधिकार निम्नलिखित सदस्यों का होगा। 

(क) सभी जिला समिति के सभापति, महासचिव एवं 5 निर्वाचित प्रतिनिधि तथा केन्द्रीय समिति के सभी सदस्य। 

(ख) समाज के सभी आजीवन सदस्य, संरक्षक, विशिष्ट संरक्षक सदस्य सम्मिलित होंगे। समाज के सभी निर्वाचित सांसद एवं विधायक 

(ग) युवा मंच, महिला मंच के अध्यक्ष और महासचिव के अलावा पाँच पाँच निर्वाचित प्रतिनिधि रहेंगे। 

(२) केन्द्रीय कार्यकारिणी के उक्त चार पदों का चुनाव कराने के लिए अधिकारी नियुक्त किया जायेगा जो अपने समाज का न हो । 

(३) निर्वाचक मण्डल के कोई १० सदस्य महासभा के चार पदों के लिए संयुक्त रूप से किसी चार व्यक्ति के नाम का प्रस्ताव कर सकते है। 

(४) नाम वापस लेने का समय समाप्त हो जाने के बाद एक से अधिक नाम रह जाने पर चुनाव गुप्त मतदान द्वारा होगा।

(५) चुनाव अधिकारी द्वारा निर्वाचन परिणाम घोषित कर दिये जाने के बाद किसी भी आपत्ति की सुनवाई केन्द्रीय कार्यकारिणी द्वारा गठित तीन सदस्यीय आयोग द्वारा की जायेगी।

धारा १२- अधिवेशन

(१) निम्नलिखित व्यक्ति संस्था के अधिवेशन में भाग लेने के अधिकारी होंगे।

(क) समाज के सभी पंजीयन सदस्य।

(ख) अपने समाज के सभी सांसद, विधायक, नगर पालिका / समिति, जिला परिषद के अध्यक्ष सदस्य।

(२) समाज का महाअधिवेशन साधारणतः तीन वर्षो में एक बार अनुष्ठित होगा। अधिवेशन के समय व स्थान का निर्धारण केन्द्रीय कार्यकारिणी द्वारा किया जायेगा।

(3) महा अधिवेशन की अध्यक्षता केन्द्रीय समिति के अध्यक्ष करेंगे। 

(४) जिस जिला मे अधिवेशन होगा, वहाँ की जिला कार्यकारिणी समिति अधिवेशन की व्यवस्था करेगी।

(५) केन्द्रीय कार्यकारिणी समिति अधिवेशन में जिला समिति को हर तरह से मदद प्रदान करेगी।

धारा १३- विशेष अधिवेशन

(१) संस्था का विशेष अधिवेशन तब होगा जब केन्द्रीय कार्यकारिणी ऐसा निश्चय करे अथवा आधे से अधिक जिला समितियाँ विनिर्दिष्ट विषय पर चर्चा करने का अनुरोध करते हुए प्रस्ताव पारित करे। अधिवेशन के सभी प्रतिनिधि विशेष अधिवेशन के भी प्रतिनिधि होंगे।

धारा १४ शक्तियाँ एवं अधिकार 

(१) अधिवेशन या विशेष अधिवेशन में लिये गये सभी निर्णय समाज की सभी जिलाओं, केन्द्रीय समिति, सम्बन्धित संगठनों तथा सदस्यों पर लागू होगा।

(२) केन्द्रीय कार्यकारिणी सभा समाज की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई होगी।

 (3) संस्था का वित्तीय हिसाव रखने हेतु, जिसका प्रतिवर्ष संप्रेक्षण होगा, केन्द्रीय कार्यकारिणी व्यवस्था करेगी ।

(४)  केन्द्रीय कार्यकारिणी का कर्तव्य होगा कि वह सभी जिलाओं व आँचलिक को अधिकार दें, उनके कार्य संचालन व कर्तव्य का निर्धारण करे, चुनावों के लिये नियम बनावे तथा चुनाव कराने की व्यवस्था करे एवं तत्सम्बिन्धत विवादों का निपटारा करवाये।

(५) सभी जिला समितियां, केन्द्रीय कार्यकारिणी द्वारा निर्धारित उत्तरदायित्व संभालेंगी और अपने सम्बन्धित क्षेत्र में अपने कर्तव्यों का पालन करेगी।

(६) केन्द्रीय कार्यकारिणी अनुशासनहीनता के मामलों के निपटारे के लिये विभिन्न स्तरों पर अनुशासन समितियों के गठन हेतु नियम बनायेगी।

(७) केन्द्रीय कार्यकारिणी त्यागपत्र, निष्कासन अथवा मृत्यु से हुए रिक्त स्थान की पूर्ति हेतु नियम बनायेगी।  

धारा १५ – अनुशासन केन्द्रीय समिति : 

(१) केन्द्रीय समिति प्रत्येक जिला में एक अनुशासन उप-समिति गठन करेगी। जिसकी संख्या ५ से अधिक नहीं होगी। सम्बन्धित जिला के अध्यक्ष और केन्द्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इस समिति मे पदेन सदस्य रहेंगे।

(२) जिला अनुशासन समिति केवल अपनी जिला के सदस्यों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कारवाई कर सकती है। केन्द्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इनमें सम्मिलित नहीं होंगे ।

(३) जिला स्तर पर की गई अनुशासन कारवाई के विरुद्ध केन्द्रीय कार्यकारिणी मे अपील दायर किया जा सकता है। आपील ३० दिन के अन्दर किया जा सकता है।

(४) जिला स्तर पर अनुशासन सम्बन्धी कोई कारवाई किये जाने के एक सप्ताह के भीतर केन्द्रीय समिति के अध्यक्ष को उसकी अनिवार्य होगा। सूचना देना अनिवार्य होगा ।  

धारा- १६ अनुशासन भंग की व्याख्या 

निम्नलिखित को अनुशासन भंग करना माना जायेगा। 

(१) संस्था के किसी कार्यक्रम अथवा इसके किसी भी निर्णय के विरुद्ध कार्य अथवा प्रचार करना। 

(२) संस्था के सक्षम प्राधिकारियों द्वारा पारित किसी नियम का उल्लंघन करना अथवा किसी आदेश का पालन न करना। 

(3) अनाधिकृत रुप से धन एकत्र करना, संस्था के धन का दुरुपयोग करना तथा सदस्य बनाने अथवा संस्था के चुनाव मे दुराचार करना । 

(४) संस्था की प्रतिष्ठा को कम करने के उद्देश्य से कोई कार्य करना अथवा संस्था के किसी भी जिला या पदाधिकारी के विरुद्ध प्रचार करना।

 धारा – १७ मतदान का पद्धति

(१) संस्था के चुनाव से मतदान की स्थिति में इसे गुप्त मतदान द्वारा संपन्न करना होगा।

२) जिला समिति के चुनाव मे दो घंटे पूर्व तक एवं केन्द्रीय समिति चुनाव में तीन घंटे पूर्व तक सदस्यों के नामांकन पत्र लिये जायेंगे। 

(३) उपरोक्त सभी चुनावों में नामांकन पत्रों की जांच के बाद मतदान के समय से आधे घण्टे पूर्व तक नाम वापस लिये जा सकेंगे। 

(४) नाम वापसी के बाद निर्वाचन अधिकारी द्वारा अध्यक्ष तथा अन्य पदाधिकारी के प्रत्याशियों की पृथक सूचियाँ मतदान केन्द्र मे सुवाच्च अक्षरों में लिखकर लटका दि जायेगी। मतदान इसी सूची के आधार पर उसे दिये गये मत पत्र पर नाम अंकित कर मतपेटी में डालेगा। नामांकन पत्र भरने वाले उम्मीदवार का नाम संविधान की धारा (९) के अन्तर्गत तैयार की गई सूची में होना आवश्यक है। 

(५)  केन्द्रीय समिति अथवा जिला समिति के अध्यक्ष के चुनाव के लिये मतदाता उम्मीदवारों में से किसी एक का ही नाम मतपत्र पर लिखेगा। परिणाम की घोषणा साधारण बहुमत के आधार पर की जायेगी।                                                    

(६) अपने मत पत्र न भर सकने वाले मतदाता को उसकी पसन्द के अन्य मतदाता की सहायता लेने का अधिकार होगा।

 धारा १८ – बैठकें

संस्था की विभिन्न कार्यकारिणी की बैठके सामान्यतः निम्नलिखित अवधि में होगा। 

(१) केन्द्रीय कार्य कारिणी- चार महीने में एक बार ।

(२) जिला कार्यकारिणी – तीन महीने में एक बार।

(३) जिन जिला समितियों की बैठक उपरोक्त अवधि में नही होगी अथवा जो जिला समितियाँ निष्कृय हो जायेगी, उन्हे स्पष्टीकरण का अवसर देने के उपरान्त भंग करने का अधिकार केन्द्रीय कार्यकारिणी को होगा। उपरोक्त आधार पर भंग की गई शाखा का पुर्नगठन तीन महीने के अन्दर चुनाव द्वारा किया जायेगा। 

(४) बैठको के लिए सूचना अवधि – 

                                              सामान्य                          आपातकालीन 

जिला समिति                            १०  दिन                             ५ दिन

केन्द्रीय कार्यकारिणी                  ३०  दिन                             ७ दिन

धारा – १९ – रिक्त स्थान 

(१) केन्द्रीय कार्यकरिणी समिति और जिला कार्यकारिणी समिति की बैठक में लगातार तीन से अधिक बार बिना अनुमति के अनुपस्थित रहने । वाले पदाधिकारी एवं सदस्य को सम्बन्धित केन्द्रीय / जिला की बैठक में पारित प्रस्ताव द्वारा पद मुक्त किया जा सकेगा।

(२) केन्द्रीय समिति के अध्यक्ष एवं जिला समिति के अध्यक्ष को विशेष साधारण सभा में २/३ बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकेगा।

(३)  अध्यक्ष द्वारा अपनी जिला में नामांकित पदाधिकारी को जिला की बैठक में साधारण बहुमत पारित प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकेगा।

(४) अध्यक्ष के रिक्त स्थान की पूर्ति उसी प्रक्रिया से होगी, जिस प्रक्रिया से उस पद पर प्रथम निर्वाचन था। 

धारा – २० _गणपुरक

कार्यकारिणी की बैठक के लिये सम्बन्धित समिति की सम्पूर्ण सदस्य संख्या का एक तिहाई गणपुरक (Quorum) होगा। 

धारा २१ – प्रतिनिधि

कोई भी प्रतिनिधि सभा के किसी सत्र अथवा बैठक में तब तक भाग नही ले सकेगा जब तक वह निर्धारित प्रतिनिधि शुल्क का भुगतान नही कर देगा। 

धारा २२ – पदाधिकारियों के अधिकार व उत्तरदायित्व

अध्यक्ष : (१) अपने सम्बन्धित कार्यकारिणी कार्यकारिणी सभा, जिला सभा की बैठकों की अध्यक्षता करना। 

(२) संविधान के अनुसार अपनी समितियों के पदाधिकारी सदस्यों को मनोनीत करना

(३) विभिन्न पदाधिकारियों तथा कार्यकारणी के सदस्यों के बीच कार्य एवं उत्तरदायित्व का विभाजन करना।

(४) अन्य सामाजिक संगठनों से बातचीत में भाग लेना या उस कार्य के लिये संस्था अथवा जिला के प्रतिनिधि का मनोनीत करना।

(५) अपनी कार्यकारिणी की बैठक तिथि निश्चित करना और संविधान मे उल्लेखित अवधि के भीतर बैठक का आयोजन करना ।

(६) अपनी महासभा या जिला के विविध उपांगो के संयोजक नियुक्त करना तथा उनके कार्यों का तालमेल बिठाना।

(७) अपनी महासभा या जिला को सुचारु रुप से चलाना, संगठन व संरचना के कार्यक्रमों को अपनी कार्यकारिणी द्वारा पारित कराकर उसे कार्यान्वित करना । 

(८) अध्यक्ष को एक समय मे निम्न लिखित धनराशि व्यय करने का अधिकार होगा। ५०००/

जिला समिति अध्यक्ष केन्द्रीय समिति अध्यक्ष २५,०००/  अनिवार्य परिस्थितियों में इससे अधिक धनराशि व्यय करने पर कार्यकारिणी की बैठक मे इसकी स्वीकृति लेना आवश्यक  होगा। 

कार्यकारी अध्यक्ष : कार्यकारी अध्यक्ष का अधिकार व उत्तरदायित्वः अध्यक्ष के अनुपस्थि में उनके उत्तरदायित्वों व अधिकारों का वहन करना। यदि किसी कारण वश अध्यक्ष अपने पद से अवकाश लेते है तो बाकी बचे समय तक कार्यकारी अध्यक्ष भार प्राप्त अध्यक्ष के रुप में कार्यभार सम्भालेंगे।

अपाध्यक्ष: 

(१) अध्यक्ष द्वारा निर्देशित जिम्मेदारी का वहन करना।

(२) अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष के उत्तरदायित्वों व अधिकारों का वहन करना। अध्यक्ष जिस उपाध्यक्ष को लिखित रुप से निर्देशित करेगा, वह बैठक की अध्यक्षता करेगा। यदि कोई निर्देश न हो, तो कार्यकारिणी किसी उपाध्यक्ष को अथवा सभी उपाध्यक्षों की अनुपस्थिति में किसी अन्य पदाधिकारी अथवा सदस्य को अध्यक्षता के लिए आमंत्रित करेगी।

महासचिव: 

(१) अध्यक्ष द्वारा निर्देशीत तिथियों पर बैठकें का आयोजन करना। इसके लिये सूचना, विषय सूची भेजना तथा अन्य व्यवस्था करना।

(२) बैठक की कार्यवाही का व्यौरा रखना तथा उसे सदस्यों में वितरित करना। 

(३) कार्यक्रमों, बैठकों, सम्मेलनों के प्रचार की व्यवस्था करना।

(४) संस्था के कार्यालय का संचालन करना।

(५ )अध्यक्ष तथा कार्यकारिणी के निर्णय के कार्यान्वित करना।

सचिव / सयुक्त सचिव

अध्यक्ष द्वारा निर्देशित उत्तरदायित्व का वहन तथा कार्यों में सहयोग करना।

कोषाध्यक्ष: 

(१) संस्था का सम्बन्धित समिति के आय-व्यय का ब्यौरा तैयार करना।

(२)  संबंधित आय-व्यय का आडिट जाँच करवाना और उसकी रिपोर्ट सौंपना। 

(३) अध्यक्ष तथा महासचिव के परामर्श से धन संग्रह हेतु प्रयास करना।

महासभा कोष

(१) कोष संग्रह के लिए राज्य स्तर पर ही रसीदे छपाई जायेगी।

(२) प्रत्येक रसीद क्रमांकित होगा तथा २५ पृष्ठो का रसिदो को बही में प्रत्येक रसीद क्रमांकित होगा तथा २५ पृष्ठो का रसिदो को बही में जारी की जायेगी।

(३) प्रत्येक रसिद पर केन्द्रीय समिति के कोषाध्यक्ष की हस्ताक्षर एवं मोहर लगाई जायगी। 

(४) जिला समिति और केन्द्रीय समिति का खाता बैंक मे खोला जायेगा। उस समिति के कोषाध्यक्ष तथा अध्यक्ष व महासचिव मे से किसी एक का संयुक्त हस्ताक्षरो से बैंक खाता चलाया जायेगा। 

(५) हिसाब का वर्ष वित्तीय वर्ष होगा।

(६) प्रत्येक जिला और केन्द्रीय समिति के हिसाब का जांच प्रतिवर्ष उस व्यक्ति के द्वारा कराई जायेगी जो सम्बन्धित जिला / केन्द्रीय समिति कि प्रस्ताव द्वारा नियुक्त किया गया हो। 

धारा २३ – मांग बैठक

किसी भी जिला अथवा केन्द्रीय समिति के उतने सदस्यों द्वारा जितने कि गणपुरक कि लिए आवश्यक है, अपने अध्यक्ष को किसी निश्चित विषय पर विचार करने के लिये सामूहिक आवेदन दिये जाने पर, सम्बन्धित अध्यक्ष द्वारा केन्द्रीय समिति या जिला समिति की बैठक १० दिनों के अन्दर बुलानी होगी। 

धारा २४ सदस्य पंजिका की छानबीन

केन्द्रीय कार्यकारिणी समय समय पर सदस्यता भर्ती में हुई अनियमितताओं सम्बन्धी शिकायतों के निपटारे की व्यवस्था करेगी तथा सदस्यता पंजिकाओं मे समय समय पर सुधार करवायेगी।

धारा – २५ – संविधान संशोधन

इस संविधान में कोई संशोधन, परिवर्तन या परिवर्द्धन केवल केन्द्रीय महासभा के    अधिवेशन द्वारा ही किया जा सकता है।

|| कलवार युवामंच गठण पक्रियाः ॥ 

युवक और युवतीयो के अधिकार और समाज के कामो में अंशग्रहण करने और संगठन का जनप्रियता वृध्दि और मजबूत करने के लिए युवा मंच का गठन किया गया और इसे संविधान में जोड़कर संविधान को संसोधन किया गया।

 नामः कलवार युवामंच 

मुख्य कार्यालय : हाउच नं 32, बी. के काकती रोड, रिहाबाड़ी, गुवाहाटी –

लक्ष्य और उद्देश्य :

1. सभी  क्षेत्रो  में  युवाओं को  सामान अधिकार के लिए युवाओं को संगिठत करना 

2. एक प्रगतिशील और शोसनमुक्त समाज का प्रतिष्ठा के लिए युवाओं का भुमिका शक्तिशालि करना ।

3. सभी प्रकार के कुशासन दुर्नीति और अविचार के विरूध्य मे एक प्रितवाद करना ।

4. सम्पुर्ण मानव समाज के हित के लिए राष्ट्रीय तथा लोकउपयोगी कार्यो में मंच के तरफ से यथोचित सहयोग प्रदान करना ।

5. भटके युवाओं को अनैतिक कार्य से और उसे समाज में संस्थापन करने का व्यवस्था करना ।

6. राष्ट्र की सर्व-भौमिकता, अखन्डता एवं एकता के रक्षा हेतु काम करना ।

7. समाज के अनाथ बच्चों, बेघर महिला, शारिरीक या मानिसक रूप से अक्षम शिशु और महिला, विधवा और बृध्य के लिए कल्यान मुलक कार्य के ग्रहन करना ।

पताका: अखिल असम कलवार समाज का झंडा ही युवामंच का झंडा होगा । यानी दोनो संगठन का झंडा एक बही होगा।

मंच का गठनः 

1. युवामंच का सदस्य बनने के लिए युवाओ का आयु कम से कम १६ बर्ष और अधिक से अधिक ४० बर्ष होना होगा। 

2. सदस्य दो प्रकार के होगें। (क) प्राथमिक सदस्य (ख) सक्रिय सदस्य । 

कोई भी युवा सदस्य प्रथम नाम भर्ति करते समय एक कालीन भर्ति मासुल ५०% रु देना होगा और उसे प्राथमिक सदस्य का दर्जा दिया जायेगा । केन्दीय कार्यकारिणी द्वारा बनाया गया नियमावाली और निर्देश को कम से कम तीन साल तक मानकर चलने और मंच के काम-काज, सभा आदि मे अंश ग्रहण करने वाले सदस्य सकिय सदस्य बन सकते है। सभी सदस्यों का नवीकरण ३ साल पर होगा और उसका मासुल ५० रु होगा। जिला सभा और केन्द्रीय सभा इन दोने सभाओ मे एक एक कार्यकारिणी कमिटि और केन्द्रीय कार्यकारिणी का गठन साधारण अधिवेशन मे करना होगा

युवामंच का सांगठणिक ढ़ाचा इस प्रकार होगा 

(1) जिला में जिला युवामंच

( 2 ) केन्द्र में केन्द्रीय युवामंच

जिला युवामंच गठन प्रक्रिया : 

जिला के हरेक महकुमा, आँचलिक इलाका से कम से कम से कम १५० सदस्यो को लेकर जिला सभा होगा। इसी साधारन सभा में जिला युवामंच का गठन करना होगा जिसमे सदस्यों का संख्या कम से कम 10 और अधिक से अधिक 21 होगा। जो निम्नलिकित प्रकार के होंगे।

1. अध्यक्ष — 1

2. कार्यकारी अध्यक्ष- 1 (अगर जरुरत हो तो)

3. उपाध्यक्ष — 2,

4. महा सचिव 1,

5. सह सचिव — 1

6॰ संयुक्त सचिव — 4  (सांस्कृति – 1, प्रचार- 1, संगठन – 1, कार्यालय – 1)

7. कोषाध्यक्ष — 1

8. कार्यकारी सदस्य 10

केन्द्रीय युवामंच के लिए 4 केन्द्रीय प्रतिनिधि का चयन भी इसी सभा मे करना होगा। जिला का साधारण सभा साल में 1 बार और कार्यकारिणी का बैठक साल में 4 बार होना होगा। जिला में अगर समाज का कोई विधायक, सांसद या वार्ड मेंम्बर है तो वे जिला सभा के पदेन सदस्य होगे।

केन्द्रीय युवामंच का गठण :

केन्द्रीय सादारण सभा में जिला द्वारा निर्वाचित 4 केन्द्रीय प्रतिनिधि, जिला समिति के अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्ष और महासचिव केन्द्रीय युवामंच के सभी सदस्य, समाज के विधायक और सांसद, और अखिल असम कलवार समाज के केन्द्रीय कमिटि के सभी सदस्यों को लेकर केन्द्रीय साधारण सभा होगा इसी साधारण सभा में केन्द्रीय कलवार युवामंच कार्यकारिणी का गठण होगा जिसमे सदस्यों का संख्या अधिक से अधिक 55 होगा जो निम्नलिखित प्रकार के होगे ।

1. अध्यक्ष 1,

2. कार्यकारी अध्यक्ष- 1 (अगर जरुरत हो तो)

3. उपाध्यक्ष- 4,

4. महा सचिव 1,

5. सह-सचिव —1,

6. संयुक्त सचिव 4 ( सांस्कृति- 1, प्रचार-1, संगठन-1,कार्यालय -1)

7. कोषाध्यक्ष 

8. कार्यकारी सदस्य 39

युवामंच का अपना संविधान नहीं होगा उन्हे अखिल असम कलवार समाज के संविधान को ही मान कर चलना होगा। युवा मंच अखिल असम कलवार समाज के अधिन ही रहेंगे। अखिल असम कलवार समाज के केन्द्रीय कार्यकारिणी का कोई भी सदस्य जरुरी होने पर केन्द्रीय युवामंच का अध्यक्ष बन सकता है। जिला और केन्द्रीय युवामंच को भंग करने का अधिकार केवल अखिल असम कलवार समाज के केन्द्रीय समिति के अध्यक्ष को ही होगा वे किसी भी जरुरी परिस्थिति में बिना कोई जाननी दिये मंच को भंग कर सकते है. और किसी भी केन्द्रीय सदस्य को कामचलाउँ अध्यक्ष नियुक्त कर सकते है। जिला और केन्द्रीय युवामंच गठण के समय में अखिल असम कलवार समाज के केन्द्रीय समिति अपना 2 पर्यवेक्षक भेजेगी जिसके देख रेख मे मंच का गठण होगा।

विः द्रः सन २०१३ के ५ जनवरी को गुवाहाटी में जन्म ग्रहण किया अखिल असम कलवार समाज का संविधान को ५ जनवारी २०१५ गोलाघाट के महासभा अधिवेशन में पहला संशोधन किया गया।

इतनी सी बात हवाओं को बताये रखना,
रोशनी होगी चिरागों को जलाये रखना।
पीढ़ी दर पीढ़ी जिसकी हिफाजत की हमने,
मेरे कलवार समाज को अपने दिल में बसाये रखना।

Composed and Electronically Converted by Manoj Kumar Shah , Tinsukia, Assam

संपादक Manoj Kumar Shah

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धन्यवाद।
मनोज कुमार शाह