प्रात: समय मंत्र
यत्स्य कीर्तयेन्नाम कल्यमुत्थाय मानवः ।।
न तस्य वित्तनाशः स्यन्नाष्टम् च लभते पुनः ।। कार्तवीर्यस्य यो जन्म कथायेदित धीमतः। यथावत् स्विष्टपूतात्मा स्वर्गलोके महियते
भगवान सहस्त्रार्जुन का पूजन करने की विधि – विधान
शुक्रवार का दिन सहस्त्रबाहु भगवान के पूजा के लिए निर्धारित किया गया है।
आप किस दिन उपवास कर सकते हैं।
पूजन विधि- चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान श्री का चित्र-मूर्ति लाल फल-फूल आदि सामग्री उपयोग करें, पश्चिम में स्थापित कर साधक-साधिका लाल वस्त्र धारण कर पूर्व दिशा मे मुखकर शुद्ध घी या तिल-तेल का कि प्रज्वलित कर-लाल कमल या जूही के पुष्प चढ़ाकर भगवान श्री सहस्रार्जुन कथा का वाचन करने पश्चात हवन ‘बीज मंत्र -ॐ फ्रों ही क्लीं कार्तवीर्यार्जुनाय नमः” बोलते हुए 108 आहुति छोड़ने से अपार ऐश्वर्या और-संपत्ति का स्वामी होता है।
तत्पश्चात आरती कर प्रसाद वितरण करे। विशेष दिन -तृतीया ,पंचमी ,सप्तमी, दशमी, एकादशी, त्रयोदशी पूर्णिमा है। रोहिणी, कृतिका, पुनर्वस, पुष्प, पूर्वाफाल्गुनी, श्रवण, अभिजीत नक्षत्र में दीपदान करें। प्रतिदिन पूजा करने से नवग्रह की पीड़ा शांत, असाध्य बीमारियां ठीक, जटिल समस्याओं का समाधान , सभी कार्यों में सफलता, विजय श्री मिलती है। उद्यापन कर-मंत्र जाप करें ‘नमोस्तु कार्तवीर्यार्जुन’ के मंत्र की 11 माला प्रतिदिन जाप करें। देवी-देवताओं की तरह ही सभी हिंदुओं को भगवान श्री राजराजेश्वर श्री सहसार्जुन जी की नियमित पूजन करना चाहिए।
संकलित
लेखन: कलचुरी – राजेन्द्र रामकिशन मालवीय(पत्रकार)व्हाट्सएप नं. 9926559099 कार्यालय- 5 ए नगरपालिका परिषद के नीचे, इटारसी (मध्य प्रदेश )