भगवान बलभद्र और श्रीकृष्ण के रंगों को लेकर कई पौराणिक मान्यताएँ हैं, जो उनके दिव्य स्वरूप और भूमिकाओं को दर्शाती हैं।
बलभद्र जी का गोरा रंग शांति, शक्ति, और स्थिरता का प्रतीक माना जाता है। उन्हें विष्णु के शेषनाग अवतार के रूप में जाना जाता है, जो दूध के समुद्र में रहते हैं। इसलिए उनका रंग सफेद माना गया है। उनका गोरा रंग धरती और पानी की शुद्धता, प्रकृति से जुड़ाव, और खेती-बाड़ी के देवता के रूप में उनकी पहचान को दर्शाता है।
दूसरी ओर, श्रीकृष्ण का सांवला रंग गहराई, रहस्य, और आकर्षण का प्रतीक है। उन्हें विष्णु का पूर्ण अवतार माना जाता है, और उनका सांवला रंग उनकी अनंतता, दिव्य शक्ति, और मोहक स्वभाव को दर्शाता है। यह रंग उनकी लीलाओं में योगमाया के प्रभाव का भी संकेत है, जो उन्हें दुष्टों से बचाने के लिए था। सांस्कृतिक रूप से, श्रीकृष्ण का रंग प्रेम, भक्ति, और आध्यात्मिकता का भी प्रतीक है, जैसे कि राधा और कृष्ण की प्रेम कथा में उनका सांवला और राधा का गोरा रंग एक-दूसरे के पूरक माने जाते हैं।
इन मान्यताओं के अनुसार, बलभद्र और श्रीकृष्ण के रंग उनकी अलग-अलग भूमिकाओं, कर्तव्यों, और दिव्य स्वरूप को दर्शाते हैं, जो हिंदू धर्म में विविधता और एकता का प्रतीक है।