भगवान बलराम मंदिर: जम्मू में एक प्राचीन मंदिर

भगवान बलराम मंदिर: जम्मू में एक प्राचीन मंदिर

उत्तर भारत में भगवान कृष्ण के बड़े भाई, बलराम (बलभद्र) के समर्पित दो मंदिर हैं। एक मथुरा के वृंदावन में स्थित है, जबकि दूसरा मंदिरों के शहर, जम्मू, में स्थित है, जिसका नाम है “बलराम दौठली मंदिर”. यह 350 करीबन पुराना मंदिर है । जम्मू के महाराजा रणवीर सिंह ने बलराम मंदिर को बनवाया था, और यह लगभग 350 वर्ष से भी अधिक पुराना है। इसे सूर्य पुत्री तविषी नदी के तट पर स्थित “धौंथली” में स्थापित किया गया था। मंदिर की देखरेख धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा की जाती है

आस्था और श्रद्धा का स्थल:

यह एक ऐतिहासिक मंदिर है, और लोग मानते हैं कि यहां श्रद्धा और भगवान के दर्शन के साथ किसी भी कामना को एक साल के भीतर पूरा कर देता है। मंदिर में भगवान बलराम और उनकी पत्नी रेवती की मूर्तियां विराजमान हैं, और यहां के पुजारी बताते हैं कि महाराजा रणवीर सिंह ने इन मूर्तियों को मथुरा के वृंदावन से यहां लाया था।

श्रद्धा से आने वाले युवा श्रद्धालु

विशेष रूप से रक्षाबंधन के दिन, यहां के दर्शन के लिए श्रद्धालु लड़कियां जो विवाह करना चाहती हैं, वे भगवान बलराम को राखी बांधते हैं और उन्हे सुभद्रा की तरह अपना बड़ा भाई बनाती हैं और अपनी शादी के लिए उनका आशीष लेती हैं और कामना करती हैं। मान्यता है कि जिन लड़कियों या लड़कों की शादी में देरी होती है वे यहाँ विश्वास और सच्चे मन से पूजा करने आते हैं। भगवान बलभद्र जल्द ही उनकी मनोकामना पूरी करते हैं ।

कालसर्प दोष का महत्व मंदिर में

कालसर्प दोष से प्रभावित लोग भगवान बलराम मंदिर के दर्शन करने आते हैं, और इसे दूर करने की कोशिश करते हैं। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि जो लोग कालसर्प दोष से प्रभावित होते हैं, वे 21 दिन तक हर दिन मंदिर की 21 बार परिक्रमा करने का अभियान चलाते हैं। परिक्रमा की प्रक्रिया के बाद, वे प्रभु के चरणों में चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा चढ़ाते हैं। इस श्रद्धा के माध्यम से वे अपने कालसर्प दोष को दूर करने का प्रयास करते हैं। यहां, भगवान बलराम को शेषनाग के रूप में माना जाता है, और इसके माध्यम से कालसर्प दोष को दूर करने की कोशिश की जाती है।

जन्मोत्सव और उत्सवों का महत्व

भगवान बलराम के जन्मोत्सव और जन्माष्टमी को धूमधाम से मनाया जाता है। रक्षाबंधन के बाद, यहां श्रद्धालु एक विशाल भंडारा भी आयोजित करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक स्थल है जो लोगों के लिए मान्यता और आशीर्वाद का स्रोत है।

संपादक Manoj Kumar Shah

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