आइये हम भगवन बलभद्र श्री कृष्ण के बड़े भ्राता बलदाऊ जे के विवाह सम्बंधित कहानी को जानते हैं | यह बात सतयुग काल की है, पौराणिक कथाओं के अनुसार पृथ्वी सम्राट रैवतक नामक एक महाराजा थे, उनकी पुत्री का नाम रेवती था | विवाह योग्य हो जाने पर राजा सुयोग्य वर की तलाश में पुत्री को लेकर ब्रह्मलोक आये | महाराज रैवतक ने ब्रह्मलोक स्वामी भगवान ब्रह्मजी जी को अपनी पुत्री हेतु सुयोग्य वर ना मिलने की अपनी परेशानी को रखा | उनकी बातों को सुन ब्रह्मजी मुस्कुराने लगें और महाराज रैवतक को पृथ्वी पर वापिस लौट आने के लिए कहा | उन्हें ब्रह्मजी जी ने बताया की आप की पुत्री का विवाह विष्णु अवतार श्री कृष्ण के बड़े भाई श्री बलराम जी से होगा और वे आपकी पुत्री के लिए सुयोग्य होंगें | इस तरह महाराज अति प्रसन्नता पूर्वक भूलोक लौट आये|
पृथ्वी पर लौट कर महाराज दुखी और आश्चर्यचकित हो गए, उन्होंने देखा कि पृथ्वी पर अभी द्वापर युग चल रहा है और समय काल चक्र अनुसार यहाँ के मनुष्य बनस्पति, जीवजन्तु सभी का आकार छोटा हो गया है | वे सोंच-सोंच कर घबराने लगें की उनकी बेटी जो की 21 हाँथ लम्बी थी का विवाह कैसे होगा ? (यह माना जाता है कि द्वापरयुग में मनुष्य का शरीर 7 हाँथ लाम्बा, त्रेतायुग में 14 हाथ, सतयुग में मानव की ऊंचाई 21 हाथ होता था )
कोई उपाय ना देख कर सम्राट रैवतक भगवान श्री कृष्ण के पास अनुनय विनय ले कर गए | उन्होंने कृष्ण को ब्रह्मलोक में भगवन ब्रह्मजी जी से हुई सभी बातों को बताया | उनकी बातों को सुन कर श्री कृष्ण और बलराम जी दोनों मुस्कराने लगे और उन्हें समझाया की जब तक आप ब्रह्मलोक से लौटे हैं तब तक पृथ्वी पर सतयुग व त्रेता नामक दो युग गुजर गए। इस समय पृथ्वी पर द्वापर युग चल रहा है। इसी लिए यहाँ सभी जीवों के साथ मनुष्यों का आकर छोटा हो गया है | रेतक महराज को रेवती की लबाई को ले कर अब और चिंता सताने लगी और वे दुखी मन से बोले बोले अब बेटी का विवाह कैसे संभव होगा ? बलराम जी उनकी बाते सुनते ही अपना हल उठाया और रेवती जी अपने पराक्रम से उसके निचे दबा दिया | उनके इस उपाय से रवती जी की लम्बाई छोटी हो गई |
बलभद्रा जी के इस उपाय से राजा रैवतक प्रसन्न हो गए, और इस तरह बलभद्र जी एवं माता रेवती जी का विवाह सम्पन्न हुआ |
मान्यता :
विवाह तिथि : वैशाख शुक्ल 3 (या अक्षय तृतीया के दिन)
बलभद्र जी एवं माता रेवती जी की विवाह हुई थी की मान्यता है |