ॐ जय बलदेव हरे, स्वामी जय बलदेव हरे।
रोहिणी के लाडले प्रभु, सब दुख दूर करे…
ॐ जय बलदेव हरे॥ १॥
माथे शेष नाग मुकुट चमकता, सुंदर वस्त्र पहनते।
चाँदनी सी उज्ज्वल छवि, मन मोहिनी झांकी…
ॐ जय बलदेव हरे॥ २॥
माखन-मिश्री का भोग लगे, सबकी इच्छाएँ पूरी करें।
दीन-दुखियों की रक्षा करते, सबकी विपदा हरते…
ॐ जय बलदेव हरे॥ ३॥
दुष्ट संहार किए, हल मूसल के धारी।
भक्तों का उद्धार किया, भगवान, तेरी लीला है भारी…
ॐ जय बलदेव हरे॥ ४॥
रेवती संग ब्याह रचाया, तुम ही सुखदाता।
रक्षक और पालनहार, धर्म के हो त्राता…
ॐ जय बलदेव हरे॥ ५॥
वृन्दावन के वासी, कृष्ण के सखा बलवंत।
तुम हो सच्चे मार्गदर्शक, मन के हो संत…
ॐ जय बलदेव हरे॥ ६॥
जो भी आरती गाए, सच्चे मन से भक्त।
उसका कल्याण कर दो, सुख-सम्पत्ति में लाए भक्ति…
ॐ जय बलदेव हरे॥ ७॥
जय बलभद्र महिमा गाए, सब दुख हरने वाले।
भक्तों के सच्चे साथी, हम सबके रखवाले…
ॐ जय बलदेव हरे॥ ८॥
जो कोई आरती गाए, मनवांछित फल पाए।
जय बलभद्र महिमा गाए, सब दुख हरने वाले…
ॐ जय बलदेव हरे॥ ९॥
–मनोज कुमार शाह , तिनसुकिया, असम
श्री बलभद्र जी की आरती
ॐ जय बलभद्र हरे, बलराम, हलधर, बालदाऊ, रेवतीरमण हरे।
रोहिणी के लाडले प्रभु, श्रीकृष्ण के भैया, हम सब के दुख दूर करें।
ॐ जय बलभद्र हरे॥ १॥
माथे शेष नाग मुकुट, रूप गौरा आपका उज्ज्वल।
भक्तजन का मन मोह लें, आपके सुंदर नीलाम्वरछबि निर्मल।
ॐ जय बलभद्र, बलराम, शंकरषण, दाऊ हरे॥ २॥
माखन-मिश्री का भोग लगे, सबकी कामना पूरी करें।
दीन-हीन की रक्षा करें, विपदा सब दूर करें।
ॐ जय बलभद्र, हलधर, रेवतीरमण, बालदाऊ हरे॥ ३॥
दुष्टों का संहार किया, हल-मूसल के धारी।
भक्तों का उद्धार किया, हे प्रभु, तेरी लीला भारी।
ॐ जय बलभद्र, बलराम, नीलाम्वर, शंकरषण हरे॥ ४॥
रेवती संग ब्याह रचाया, हैं सुखदाता प्रभु आप।
रक्षक और पालनहार, धर्म के त्राता प्रभु आप।
ॐ जय बलभद्र, बालदाऊ, दाऊ, रेवतीरमण हरे॥ ५॥
वृन्दावन के वासी, कृष्ण के प्रभु सखा बड़े बलवंत।
सच्चे मार्गदर्शक हो आप, मन के संत हो आप।
ॐ जय बलभद्र, हलधर, बलराम, शंकरषण हरे॥ ६॥
जो भी आरती गाए, सच्चे मन का वह भक्त कहलाए।
उसका कल्याण करें आप, उसके घर सुख-सम्पत्ति आए।
ॐ जय बलभद्र, बालदाऊ, नीलाम्वर, दाऊ हरे॥ ७॥
हम बलभद्र जी की महिमा गाएं, दुख सब हरने वाले।
आप हो प्रभु भक्तों के सच्चे साथी, हम सबके रखवाले।
ॐ जय बलभद्र, बलराम, शंकरषण, हलधर हरे॥ ८॥
जो कोई भक्त यह आरती गाए, मनवांछित फल पावे।
जो बलभद्र महिमा गाए, उसके दुख सब दूर करें।
ॐ जय बलभद्र, बालदाऊ, दाऊ, रेवतीरमण हरे॥ ९॥