
रानी की बाव (गुजरात) में भगवान बलभद्र जी मूर्ति:
रानी की बाव, गुजरात, भारत की एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक और वास्तुकला की धरोहर है। यह बावली एक अद्भुत स्थापत्य कला का उदाहरण है, जहाँ कई भगवानों और देवताओं की मूर्तियाँ अंकित हैं। इनमें से एक मूर्ति जो विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करती है, वह भगवान बलभद्र जी की है। आइए जानते हैं कि यह मूर्ति क्यों महत्वपूर्ण है और किस प्रकार भगवान बलभद्र जी के चिन्ह यहाँ दर्शाए गए हैं।
हल (Plow):
भगवान बलभद्र जी को हमेशा हल (plow) के साथ चित्रित किया जाता है, जो उनके कृषि और खेती से जुड़ी पहचान का प्रतीक है। यह हल भगवान बलभद्र जी की विशेषता है, जो कृषि के देवता माने जाते हैं। रानी की बाव में भगवान बलभद्र जी की मूर्ति में हल देखा जा सकता है।
मूसल :
बलराम जी को मूसल के साथ भी चित्रित किया जाता है, जो दर्शाता है। इस मूर्ति में बलेराम के हाथ में मूसल है जो कि ओखल में अन्न को कूटने के काम आता है । भगवान बलभद्र जी के हाल और मूसल को उनके अस्त्र के रूप मैं मन जाता है ।
पारंपरिक मुकुट (Kiritamukuta):
बलराम जी को हमेशा एक विशेष प्रकार के मुकुट (crown) के साथ चित्रित किया जाता है, यह मुकुट शेषनाग की छतरी रहती है। मान्यता है कि भगवान बलभद्र जी शेषनाग के अवतार हैं ।
रानी की बाव में बलराम की यह मूर्ति न केवल भारतीय कला और संस्कृति का अद्भुत उदाहरण है, बल्कि यह हमें हमारे धार्मिक इतिहास से भी जोड़ती है। इन मूर्तियों के माध्यम से हमें हमारी प्राचीन संस्कृति, कला और धार्मिक परंपराओं को समझने का एक अनमोल अवसर मिलता है।
रानी की बाव, गुजरात में स्थित एक अद्वितीय धरोहर स्थल है, जहाँ ऐसी अनगिनत अद्भुत मूर्तियाँ और वास्तुकला देखने को मिलती हैं। यह स्थल भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का अनमोल रत्न है और यहाँ की मूर्तियाँ भारतीय कला और इतिहास के प्रति हमारे अद्वितीय दृष्टिकोण को प्रस्तुत करती हैं।