बिहार जातिगत जनगणना के बाद कलवार समाज की स्थिति

बिहार जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट में हम कलवार की परिस्थिति सोंचनीय है ।


बिहार जातिगत जनगणना के बाद कलवार समाजकी स्थिति:

✅ 1. बिहार सरकार कलवार समाज को कैसे मानती है?

  • बिहार सरकार ने कलवार को एक स्वतंत्र जाति के रूप में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में शामिल किया है।
  • ब्याहूत, जायसवाल, खरीदहा, शौण्डिक, जैसार जैसी उपजातियाँ कलवार जाति की उपजातियाँ हैं, अलग जातियाँ नहीं
  • लेकिन जिन लोगों ने अपनी जाति के स्थान पर उपजातियाँ दर्ज करवाईं, उनकी गिनती कलवार जाति में नहीं हुई

📊 2. बिहार में कलवार समाज की जनसंख्या कितनी है?

  • बिहार जातिगत जनगणना (2022) के अनुसार, कलवार समाज की जनसंख्या लगभग 18 से 20 लाख बताई गई है।
  • यह बिहार की कुल जनसंख्या का लगभग 1.4% से 1.6% है।

🔍 3. गिनती कैसे की गई?

  • जातिगत सर्वे में लोगों से उनकी जाति पूछी गई।
  • जिन्होंने “कलवार” लिखा, वे इस जाति में गिने गए।
  • लेकिन जिन्होंने ब्याहूत, जायसवाल, खरीदहा, शौण्डिक, जैसार जैसी उपजातियाँ लिखवाई, वे अलग गिनती में चले गए।
  • इससे कलवार समाज की संख्या कम दर्ज हुई और समाज बिखरा हुआ दिखा।

⚠️ 4. मुख्य समस्या क्या हुई?

  • कई लोगों ने अपनी उपजाति को ही जाति समझकर दर्ज करवा दी
  • इससे कलवार समाज एक संगठित, बड़ी जाति के रूप में नहीं दिखा, और संख्या घटकर दर्ज हो गई

📢 5. आगे क्या करना चाहिए?

  1. हर जगह – स्कूल, वोटर कार्ड, राशन कार्ड, जाति प्रमाणपत्र, सरकारी फार्म – में जाति कलवार ही लिखवाएं।
  2. ब्याहूत, जायसवाल, खरीदहा, शौण्डिक, जैसार को केवल उपजाति के रूप में पहचानें।
  3. समाज को जोड़ने के लिए एक एकता अभियान चलाएं ताकि आगे आने वाली योजनाओं में कलवार समाज को उचित भागीदारी मिले।

सभी जानकारी वेबसाईट न्यूज इत्यादि के माध्यम से है। कोई सुधार हो तो हमें बताएं ।

संपादक Manoj Kumar Shah

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