बेट द्वारका (शंखोद्वारिका):
- बेट द्वारका गुजरात के द्वारका शहर से लगभग 30 किलोमीटर समुद्र के भीतर स्थित एक द्वीप है।
- इसे “शंखोद्वारिका” भी कहते हैं — यह द्वीप श्रीकृष्ण का निजी निवास स्थान था, जहाँ वे अपने परिवार के साथ रहते थे।
- यहीं पर सत्यभामा, जाम्बवती, रुक्मिणी आदि रानियाँ निवास करती थीं।
🔱 बलभद्र जी का संबंध और अंतिम लीला:
1. प्रभास तीर्थ यात्रा के समय बलभद्र जी का बेट द्वारका आना:
- यदुवंश में संघर्ष और विध्वंस की आशंका देखकर बलराम जी ने गृह-त्याग किया।
- वे द्वारका से निकलकर बेट द्वारका आए और यहाँ से प्रभास क्षेत्र की ओर तीर्थयात्रा पर निकल पड़े।
- कहा जाता है कि उन्होंने यहां समुद्र किनारे ध्यान किया और योगबल से महासमाधि ली।
2. बलराम जी का शेषनाग रूप में विलीन होना:
- महाभारत के मौसल पर्व के अनुसार, जब यदुवंश का नाश हुआ, तब श्री बलभद्र जी ने महासंन्यास लिया।
- वे बेट द्वारका या प्रभास के निकट समुद्र तट पर बैठकर ध्यानस्थ हो गए।
- अंततः उन्होंने शेषनाग के रूप में अपने मूल स्वरूप में प्रवेश किया और जल में समा गए।
- यह लीला स्थान बेट द्वारका के समीप मानी जाती है।
📖 एक पौराणिक कथा (संक्षेप में)
एक दिन बलभद्र जी को यह ज्ञात हुआ कि यदुवंश में भीतर ही भीतर विघटन हो रहा है।
उन्होंने श्रीकृष्ण को भी इसकी चेतावनी दी। लेकिन जब विनाश निश्चित हुआ, तब वे गृह त्यागकर बेट द्वारका की ओर चले आए।
वहां समुद्र किनारे बैठकर उन्होंने ध्यान किया, और अंततः योग के द्वारा अपने शेषनाग स्वरूप में लौट गए।
कहा जाता है कि वहाँ एक श्वेत नाग की आकृति जल में देखी गई थी, जिसे श्रद्धालु आज भी शेषनाग रूप मानते हैं।
🌊 आज का महत्व (धार्मिक और तीर्थ रूप में):
- बेट द्वारका में बलराम जी के नाम से एक प्राचीन मंदिर है, जिसे शेषावतार बलराम मंदिर कहा जाता है।
- यहां हर वर्ष विशेष पूजा और बलभद्र जी की जयंती/समाधि तिथि पर आयोजन होता है।
- यह स्थल आज भी श्रीकृष्ण और बलभद्र के भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ है।
✅ संक्षिप्त रूप में:
- स्थान: बेट द्वारका (शंखोद्वारिका), गुजरात
- संबंध: बलराम जी की अंतिम लीला और योग-महासमाधि का स्थान
- विशेषता: यदुवंश विनाश के बाद बलराम जी का मूल रूप (शेषनाग) में विलीन होना