Banaraha – 177 –  बनरहा

कोड नंबर बनरहा Code No. 177 – Other Mulban Link
गोत्रकाश्यप गोत्र
जातिकलवार (Kalwar Caste)
कलवार जाति वर्गब्याहुत
मुलवानबनरहा
कुलदेवतासोखा बाबा
कुलदेवी सती बैनी
उदगमhttps://goo.gl/maps/jynxDwpQmAvrY4hNA
वार्षिक पुजाप्राप्त जानकारी अनुसार मूल बान ” बनरहा ” के कुल देवता सोखा बाबा , कुलदेवी सती बैनी हैं। इनकी  पूजा वर्ष में 3 बार की जाती है ।  सावन माह में , माघ माह में,  फागुन माह में ।

सावन माह की पूजा
सावन माह  में 3 दिन पूजा होती है सोमवार के दिन खीर चढ़ता है,  मंगलवार के दिन लड्डू और बुधवार के दिन पूड़ी, खीर, दाल, चावल, चढ़ा कर पूजा की जाती है। बंदी माता जी का श्रीगार सिंदूर, फूल, चन्दन इत्यादि से और माला के रूप में ठोसा *  पहना कर किया जाता है ! वस्त्र चढ़ावा में के रूप साड़ी के साथ श्रिंगार सामाग्री चढ़ाया जाता है। गौरैया बाबा का पिंड पर धोती के साथ अन्य अंग वस्त्र चढ़ाया जाता है।
(ठोसा * की पूरी जानकारी नीचे दी जा रही है )

माघ माह माह की पूजा
तिला संक्रांत के दिन शुद्ध रूप से बनी हुई खिचड़ी,  तिल, गुड़, चावल, दाल, अदरख, घी  चढ़ावा चढ़ता है । माता को पूरी तरह  श्रीगार भी किया जाता है और “ठोसा” माला पहनाया जाता है ।

फागुन माह की पूजा
इस माह में होली के दिन यह पूजा की जाती है । बड़ा, मेवा पुवा इत्यादि भोग लगता है, अबीर भी चढ़ाया जाता है ।

ठोसा
यह श्रिंगर का माला होता है । इस में चाँदी और सोने के छोटे छोटे मोती के जैसे गोल गेंद लगे रहते हैं । ब्याहुतों में यह मान्यता है की खानदान या परिवार में जब लड़के की शादी होती है तो इस माला में एक गेंद लगाई जाती है । यदि लड़के की शादी हुई तो सोने की और लड़की की शादी में चाँदी का ठोसा लगता है !
प्रतिरूपकुल देवता को प्राचीन पूजा पद्धति के अनुसार पिंड बना कर की जाती है । दो पिंड बनाया जाता है । मंदिर के अंदर बना हुआ पिंड कुलदेवी सती बैनी का पिंड होता है और पूजा घर के  द्वार पर सोखा बाबा का पिंड बनाया जाता है
ठोसा का प्रचलनलड़का लड़की के शादी मेँ एक मोती के आकार का ठोसा बनाया जाता है लड़का के लिए सोने का और लड़की के लिए चाँदी का बनता है। इस को पूर्व से बने माला मेँ पिरोया जाता है ।
प्रेषक
श्री मनोज कुमार शाह ।
तिनसुकिया, असम , मूल वाशिंदा : अरक़, बरहमपुर, जिला : बक्सर, बिहार

WhatsAap 9435267008  पर भेजिये । मिली जानकारियों को एक  ‘e-book’ के रूप में सदा के लिए सूरक्षित करना है ।-

संपादक Manoj Kumar Shah

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