बलभद्र जन्म सोहर

प्रस्तावना
“मैंने बलभद्र जी के सोहर, जो अब तक प्रचलित रूप में नहीं था, उसे लिपिबद्ध करने का प्रयास किया है।”

(धुन – पारंपरिक सोहर “राम जन्म भयो, जय जय राम जन्म भयो” की ही धुन पर गाया जाए। ताल – कहरवा/दादरा, गति मध्यम।) —

✍️ संकलनकर्ता : मनोज कुमार शाह
📍 स्थान : तिनसुकिया, असम
📞 संपर्क : 8638014073
🌐 वेबसाइट : www.samajbandhu.com


दोहा

आजु भयो आनंद मगन, गावत मंगल धुन।
रोहिणी घर आए बलभद्र, दाऊ सुख के गुन॥


चौपाई 1

भए प्रकट दयाला, दीनदयाला, रोहिणी घर के प्यारे।
हल मूसल धारी, असुर बिनाशी, दुखियों के उबारे॥

गौर सरीर विशाल, कर में हल मूसल, देखत सब हर्षाए।
कृष्ण बड़े भैया, दाऊ दयाला, मंगल गान सुनाए॥

कोरस (समूह)
जय जय बलदाऊ, जय जय बलदाऊ।
महाबली दाऊ, दीनन उबाऊ॥


चौपाई 2

यमुना झुकाई, हल से बुलाई, धरती सुख से डोली।
कृषि के देव कहाए, गोकुल नाचत, गावत मंगल बोली॥

शत्रु निकंदन, धरम निकेतन, सबके दुःख हारे।
गौरवर्ण सुंदर, शांत उपकारी, दाऊ कृपा के धारे॥

कोरस (समूह)
जय जय बलदाऊ, जय जय बलदाऊ।
हलधर दयाला, गोकुल रखवाऊ॥

संपादक Manoj Kumar Shah

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