आइए हम जानते हैं: क्यों छपी है यह प्राचीन मुद्रा

डॉ. काशी प्रसाद जायसवाल के जन्म शताब्दी वर्ष (1981) में भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक विशेष डाक टिकट जारी किया। इस टिकट में बाईं ओर उनका चित्र है और दाईं ओर एक प्राचीन यौधेय मुद्रा (Yaudheya Coin) का चित्रण है।

आइए, हम आपको बताते हैं कि काशी प्रसाद जायसवाल जी के नाम से छपा यह डाक टिकट (1981 में जारी, उनकी जन्मशताब्दी पर) क्या-क्या दर्शाता है और इसका अर्थ क्या है।

इस टिकट के बाएँ हिस्से में काशी प्रसाद जायसवाल जी का चित्र है—विद्वान, इतिहासकार और मुद्राशास्त्र (Numismatics) के अग्रणी विशेषज्ञ के रूप में उनकी गरिमा और व्यक्तित्व को दर्शाता हुआ।
दाएँ हिस्से में एक प्राचीन यौधेय (Yaudheya) जनपद की मुद्रा का चित्रण है। यह कोई साधारण सजावटी चित्र नहीं है—यह उस क्षेत्र में उनके महान शोध का प्रतीक है।

यौधेय प्राचीन भारत का एक गणराज्य था, जो आज के हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के कुछ हिस्सों में फैला हुआ था। इनके सिक्कों पर प्रायः कार्तिकेय (मुरुगन) की प्रतिमा और संस्कृत/ब्राह्मी लिपि में अभिलेख मिलते हैं। काशी प्रसाद जायसवाल जी ने इन सिक्कों के अध्ययन से भारतीय प्राचीन इतिहास, गणराज्य व्यवस्था और सैन्य संस्कृति पर कई महत्वपूर्ण निष्कर्ष प्रस्तुत किए।

इसलिए, टिकट पर उनका चित्र और यौधेय मुद्रा साथ में दर्शाकर भारतीय डाक विभाग ने यह संदेश दिया कि—

“काशी प्रसाद जायसवाल न केवल इतिहास के खोजी थे, बल्कि प्राचीन सिक्कों के माध्यम से भारत की खोई हुई कहानियों को उजागर करने वाले महान विद्वान थे।”

संपादक Manoj Kumar Shah

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