बलभद्र पूजा कैसे करवाएं

(भाग 1) मुख्य पूजन से पहले की आवश्यक पूजा विधि

(हर देवता की पूजा क्रम से, सरल विधि व मंत्र सहित)


1. गणेश पूजन – (हर पूजा का पहला चरण)

मंत्र:
🔅ॐ गणानां त्वा गणपतिं हवामहे कविं कवीनामुपमश्रवस्तमम्।
ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत आ नः शृण्वन्नूतिभिः सीद सदनम् ॥ 

🔅 ॐ श्री गणेशाय नमः। क्यों करते हैं:
गणेश जी विघ्नहर्ता हैं – पूजा निर्विघ्न हो इसके लिए। अर्पण करें: मोदक, दूर्वा, लाल फूल, चावल (अक्षत), दीप, रोली


🔸 2. कलश स्थापना: मंत्र: 🔅 ॐ पुण्यः श्लोकाय कलशाय नमः।

विधि:– तांबे/पीतल के पात्र में जल भरें- / – आम के पत्ते और नारियल रखें -/– मौली बाँधें और चावल के आसन पर रखें


🔸 3. वरुण पूजन (जल देवता – कलश में) मंत्र: 🔅 ॐ अपां पतये नमः।

क्यों:
पूजा शुद्ध और पूर्ण हो, इसके लिए वरुण देव का आह्वान।


🔸 4. भूमि पूजन / आसन शुद्धि : मंत्र:🔅 ॐ पृथिव्यै नमः।

क्यों:
धरती माता से क्षमा माँगते हैं – क्योंकि हम उन पर बैठकर पूजा करते हैं।


🔸 5. नवग्रह पूजन 🌞🌚🔴🔵

मंत्र (प्रमुख ग्रह बीज मंत्र):

  • सूर्य: ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।
  • चंद्र: ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः।
  • मंगल: ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।
  • बुध: ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।
  • गुरु: ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः।
  • शुक्र: ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।
  • शनि: ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
  • राहु: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।
  • केतु: ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।

क्या चढ़ाएँ: तिल, चावल, जल, फूल


🔸 6. अष्टदिक्पाल पूजन (8 दिशाओं के देवता)

क्यों करते हैं:
सभी दिशाओं से सकारात्मक ऊर्जा और सुरक्षा हेतु

दिशा देवता और पूजन विधि:

  • पूर्व – इन्द्र
  • पश्चिम – वरुण
  • उत्तर – कुबेर
  • दक्षिण – यम
  • ईशान – शिव
  • नैऋत्य – पितर
  • आग्नेय – अग्नि
  • वायव्य – वायु

मंत्र:
“ॐ [दिशा देवता नाम] नमः” कहकर जल और अक्षत चढ़ाएँ


🔸 7. नवदुर्गा पूजन (यदि देवी पूजन हो)

नव देवियाँ:
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री

मंत्र (उदाहरण):
🔅 ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।

अर्पण करें: फूल, दीप, अक्षत


🔸 8. गुरु पूजन (यदि गुरुदेव हों)

मंत्र:
🔅 गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः…

अर्पण करें: फूल, दीप, फल, दक्षिणा


🔸 9. रक्षासूत्र (मौली) बाँधना

मंत्र:
🔅 ॐ येन बद्धो बलि राजा…

विधि:
– दाहिने हाथ में मौली बाँधें
– रक्षा और संकल्प हेतु


🔸 10. संकल्प

मंत्र (स्वरूप):
🔅 मम समस्त पापक्षयद्वारा, श्री बलभद्र जी प्रीत्यर्थं, श्री बलराम पूजनं करिष्ये।

(हाथ में फूल, अक्षत, जल लेकर बोले)


(भाग 2) बलभद्र जी का मुख्य पूजन विधि

(अब जब पूर्व पूजा सम्पन्न हो गई, तब बलराम जी की पूजा आरंभ करें)

🔱 बलभद्र जी की पूजन विधि (मुख्य पूजन)

🔸 1. आवाहन (भगवान का आमंत्रण)

मंत्र:
🔅 ॐ बलभद्राय नमः।
🙏 “हे बलराम जी! आप श्रीविग्रह में विराजमान होकर मेरी पूजा स्वीकार करें।”

🔹 चावल के ऊपर फूल रखें और भगवान के सामने अर्पण करें।


🔸 2. आसन अर्पण (आसन देना)

मंत्र:
🔅 ॐ बलभद्राय नमः आसनं समर्पयामि।
🙏 “हे प्रभु! कृपया इस आसन पर विराजें।”


🔸 3. पाद्य – चरणों को धोना

मंत्र:
🔅 ॐ बलभद्राय नमः पाद्यं समर्पयामि।
🙏 “हे प्रभु! आपके चरण पखारने के लिए पवित्र जल अर्पित करता हूँ।”


🔸 4. अर्घ्य – स्वागत जल

मंत्र:
🔅 ॐ बलभद्राय नमः अर्घ्यं समर्पयामि।
🙏 “हे प्रभु! यह अर्घ्य आपके स्वागतार्थ अर्पित है।”


🔸 5. आचमन – जल पान

मंत्र:
🔅 ॐ बलभद्राय नमः आचमनीयं समर्पयामि।
🙏 “हे प्रभु! यह जल आपके आचमन हेतु है।”


🔸 6. स्नान (अभिषेक)

मंत्र:
🔅 ॐ बलभद्राय नमः स्नानं समर्पयामि।
🙏 “हे प्रभु! पवित्र जल से स्नान के लिए अर्पण करता हूँ।”

(जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर से पंचामृत स्नान कर सकते हैं।)


🔸 7. वस्त्र अर्पण

मंत्र:
🔅 ॐ बलभद्राय नमः वस्त्रं समर्पयामि।
🙏 “हे बलराम जी! यह वस्त्र अर्पित है, कृपया स्वीकार करें।”


🔸 8. यज्ञोपवीत (जनेऊ)

मंत्र:
🔅 ॐ बलभद्राय नमः यज्ञोपवीतं समर्पयामि।


🔸 9. गंध (चंदन)

मंत्र:
🔅 ॐ बलभद्राय नमः गंधं समर्पयामि।


🔸 10. पुष्पार्चन (फूल अर्पण)

मंत्र:
🔅 ॐ बलभद्राय नमः इदं पुष्पं समर्पयामि।


🔸 11. अक्षत (चावल)

मंत्र:
🔅 ॐ बलभद्राय नमः अक्षतान् समर्पयामि।


🔸 12. धूप, दीप और नैवेद्य

  • धूप मंत्र:
    ॐ बलभद्राय नमः धूपं समर्पयामि।
  • दीप मंत्र:
    ॐ बलभद्राय नमः दीपं दर्शयामि।
  • नैवेद्य मंत्र:
    ॐ बलभद्राय नमः नैवेद्यं निवेदयामि।

(लड्डू, मठ्ठा, मक्खन, फल आदि अर्पित करें)


🔸 13. ताम्बूल (पान सुपारी), जल, दक्षिणा

मंत्र:
🔅 ॐ बलभद्राय नमः ताम्बूलं समर्पयामि।
🔅 ॐ बलभद्राय नमः दक्षिणां समर्पयामि।

🌸 बलभद्र–रेवती युगल पूजन मंत्र संग्रह:

1. ध्यान मंत्र:

ॐ हलायुधाय बलशालिने च रेवत्यै पतये नमः।
(अर्थ: हलधारी, बलवान, माता रेवती के पति भगवान को नमस्कार है।)

ॐ रेवत्यै नमः।
(अर्थ: देवी रेवती को नमस्कार है।)

2. युगल नमस्कार मंत्र:

ॐ बलभद्रायै च रेवत्यै च नमः।
(अर्थ: श्री बलभद्र और माता रेवती – आप दोनों को नमस्कार है।)

3. फलप्रद स्तुति:

सर्वमंगलदायिन्यै रेवत्यै सह बलभद्राय नमः।
(अर्थ: सर्वमंगल प्रदान करनेवाली रेवती माता और उनके साथ भगवान बलभद्र को नमस्कार है।)

🔱 पूजन बिंदु (Puja Point):
“भगवान बलभद्र जी की पूजा उनकी अर्धांगिनी माता रेवती जी के साथ संयुक्त रूप से की जाए। जैसे शिव-पार्वती, राम-सीता की युगल पूजा होती है, वैसे ही बलभद्र-रेवती पूजन भी किया जाना चाहिए। यह युगल पूजन पारिवारिक सुख, वैवाहिक समृद्धि और सौभाग्यवती जीवन के लिए कल्याणकारी होता है।”

🔸 14. प्रदक्षिणा और नमस्कार

मंत्र:
🔅 ॐ बलभद्राय नमः प्रदक्षिणां समर्पयामि।
🔅 नमः बलरामाय नमः।


🔸 15. स्तुति / चालीसा / अष्टक / आरती संभव हो तो बलभद्र जी की स्तुति, चालीसा या आरती करें।

हलधारी स्तोत्रम्:

हलधारी स्तोत्रम् (संस्कृत श्लोक एवं हिन्दी अर्थ सहित)

1.
जय हलधर बलवन्त विराजत् द्विभुजधारी।
नम्र जनार्ति निवारक करुणा सिन्धु मुरारी॥
👉 हे हलधर बलशाली! दो भुजाओं वाले, तेजस्वी रूपधारी, दुखी जनों के कष्ट हरने वाले, करुणा के सागर, आपको नमन है।

2.
हलधराय नमो नमः, मुसलाय नमो नमः।
बलवद्राय नमो नमः, बलरामाय नमो नमः॥
👉 जो हलधारी हैं, मुसलधारी हैं, बल का प्रतीक हैं, उन्हें बारम्बार नमस्कार।

3.
नागेश्वराङ्गश्रयी भक्तवत्सल हे बलराम।
शत्रुनिकन्दन भीमप्रभाव चन्द्राभ रतनाराम॥
👉 हे बलराम! जो शेषनाग के स्वरूप हैं, भक्तों पर सदा कृपा करते हैं, शत्रुओं का नाश करने वाले हैं, आपका तेज भीम के समान है, और आप चन्द्रमा जैसे शीतल सौंदर्य के धाम हैं।

4.
सप्तद्वीपेश्वरं देवं, लीलया भूतपालकं।
कृष्णानुजं महामार्तंडं, वन्दे श्री हलिनायकम्॥
👉 मैं उस हलधारी भगवान को नमस्कार करता हूँ जो सम्पूर्ण सृष्टि के रक्षक हैं, सात द्वीपों के ईश्वर हैं, भगवान कृष्ण के छोटे भ्राता हैं और तेजस्वी सूर्य के समान प्रकाशमान हैं।

5.
यः पठेच्छृणुयान्नित्यं स्तोत्रं भक्त्या बलार्चनम्।
सर्वान् कामानवाप्नोति बलं वीर्यं च लभते॥
👉 जो भक्त इस स्तोत्र को श्रद्धा से पढ़ता या सुनता है, उसे सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और वह बल, पराक्रम एवं तेज प्राप्त करता है।

🔅 स्तोत्र मंत्र (संक्षिप्त)

🔅 जय हलधर बलदामा, दीनन के त्राता।
🔅 महाबली, धर्मरक्षक, शेषावतार विधाता।।
🔅 मुसल-हल धर चरण में, भक्तन की सुन लीजे।
🔅 कृपा दृष्टि सदा रखें, रक्षित निज लीजे।।

श्री बलभद्र चालीसा

(हनुमान चालीसा की तर्ज़ पर)

🪔 दोहा (प्रारंभ)

जय बलराम कृपालु प्रभु, सुन लीजै अरज हमारी।
दीन-दुखी पर दया करो, हर संकट भव भारी।।

🌾 चौपाइयाँ

  1. जय हलधर बलभद्र विशाल। भव्य रूप शीतल कृपाल।।
  2. नील वस्त्र तन, मुकुट बिहारी। शेषावतार, कृपा के धारी॥
  3. मुषल हाथ में, कंधे हल। देखत ही कटे सकल व्यथाजाल।।
  4. यशोदा के तू लाल कहाए। वासुदेव संग लीला रचाए॥
  5. नंदगाँव में खेलनहारे। गोकुल ब्रज के तुम रखवारे।।
  6. नागपाश में फँसे मुरारी। बचा लिये तुम संकटहारी॥
  7. सदा साथ रहे कान्हा प्यारे। भक्ति हेतु जन्म तुम्हारे।।
  8. दानव दल दल का संहारक। सत्य धर्म के तुम उद्धारक॥
  9. गदा चक्र से रहो परे, पर वीरता में कोई न तरे।।
  10. द्वारका के तुम सेनापति। प्राण रक्षक, धरम की गति॥
  11. भीम समेत न कोई समाना। बल में तुम अनुपम नीरज नाना।।
  12. तुम्हरे नाम से कम्पे त्रिपुरारी। हर संकट में नाम तुम्हारा भारी॥
  13. एक वार में लाखों मारो। मुसल समर में प्रचंड तुम्हारो।।
  14. यादव वंश के तुम उजियारा। शौर्य तेज से जग उजियारा॥
  15. महाबली तुम धर्म रक्षक। पापियों के हो संहारक॥
  16. तारणहार भक्तन के दुख के। बल से बनो सहायक सुख के॥
  17. रेवती-पति, शांति स्वरूपा। सहज सरल, समता में ऊँचा॥
  18. राम तुम्हारे छोटे भ्राता। बन में रहे साथ दिन-राता॥
  19. त्रेता द्वापर युग में आये। धर्म स्थापना हेतु तन पाए॥
  20. गिरिधर के संग संग्राम रचाए। कालिय नाग की लीला गाए॥
  21. दुष्ट दमन कर जग को तारा। प्रेम पथिक को शरण तुम्हारा॥
  22. भक्त सुदामा से भी प्यारा। धर्म, प्रेम का सच्चा सहारा॥
  23. हल से भूमि उपजाई। अन्नपूर्ण बन सबको खिलाई॥
  24. किसान रूप में पूजे जाओ। धरती माता के हित में समाओ॥
  25. सिंदूर, केसरी, पीत चोला। शोभित रूप, मुसल की शोला॥
  26. ज्यों ज्यों भक्त तुम्हें पुकारे। त्यों त्यों संकट दूर तुम टारे॥
  27. मंगलकारी, विजय तुम्हारी। भक्ति करै जो, हो सुख सारी॥
  28. सब विधि पूजन जो नर करई। दुख-दारिद्र निकट नहिं परई॥
  29. बिन बोले ही तुम सब जानो। भाव भक्ति के मोती मानो॥
  30. रथ पर चढ़, संग्राम सँभारा। युद्धभूमि में न किया किनारा॥
  31. महाभारत में नीति निभाई। अर्जुन की रक्षा भी करवाई॥
  32. नाभि-कमल सम तेज तुम्हारा। ब्रह्मादिक भी करैं पुकारा॥
  33. हरि के संग लीला में साथी। धर्म मार्ग के तुम प्रहरी॥
  34. प्रभु विष्णु के अंश तुम्हारे। यम, इन्द्र तक नयन निहारे॥
  35. तेरे नाम से रोग मिटाए। संकट में भक्त भरोसा पाए॥
  36. बल, विवेक, विज्ञान प्रदानो। मंगल, सिद्धि, बुद्धि सदा जानो॥
  37. घर में रहे जो चित्र तुम्हारा। सुख, समृद्धि मिले अपारा॥
  38. जो भी नाम तुम्हारा गावे। भवसागर से पार लगावे॥
  39. भक्त तुम्हारे रहें सुखी। जीवन सदा हो शांति भरी॥
  40. हे बलभद्र, सुनहु पुकार। रक्षित रखो, करो उधार॥

🪔 दोहा (समापन)

संकट मोचक बलभद्र तू, भक्तन के रखवारे।
तेरा नाम जपत जो नर, पार उतरनिहारे॥

🌼 श्री बलभद्र अष्टकम् 🌼

(संस्कृत श्लोक सहित हिन्दी अर्थ)


१.
श्वेतवर्णं महाशौर्यं हलधरं कृपानिधिम्।
शेषावतारं देवं तं वन्दे बलभद्रकम्॥

अर्थ:
जो श्वेत वर्णधारी, महान पराक्रमी, हल धारण करने वाले, करुणा के सागर तथा शेषनाग के अवतार हैं — उन देव बलभद्र जी को मैं नमन करता हूँ।


२.
नीलकण्ठसमं देवं दिव्यशस्त्रधरं विभुम्।
मुसलेन विनिःशत्रुं वन्दे श्रीबलभद्रकम्॥

अर्थ:
जो देव नीलकण्ठ (शिव) के समान हैं, दिव्य शस्त्रधारी हैं, जिनका तेज अद्भुत है और जो मुसल (गदा) से शत्रुओं का विनाश करते हैं — उन श्री बलभद्र जी को प्रणाम है।


३.
दाऊ भ्राता श्रीकृष्णस्य, लोकपालो महामतिः।
गोपवेषधरं शान्तं वन्दे श्रीबलभद्रकम्॥

अर्थ:
जो श्रीकृष्ण के बड़े भाई हैं, लोकों के रक्षक हैं, महान बुद्धिमान हैं, गोपालों का वेश धारण करते हैं और शांत स्वभाव वाले हैं — उन बलराम जी को वंदन है।


४.
प्लवयन्तं पापिनोऽसौ भवसागरदुस्तरम्।
भक्तवत्सलमीशानं वन्दे श्रीबलभद्रकम्॥

अर्थ:
जो पापियों को भवसागर से पार कराने में समर्थ हैं, भक्तों पर सदा स्नेह रखने वाले हैं और परम ईश्वर हैं — उन बलराम जी की मैं स्तुति करता हूँ।


५.
यस्य नामस्मरणेन नश्यन्ति दारुणा भयाः।
शत्रवो विनियान्ते च वन्दे श्रीबलभद्रकम्॥

अर्थ:
जिनके नाम का स्मरण करने मात्र से ही भयंकर भय नष्ट हो जाते हैं और शत्रु पराजित हो जाते हैं — उन बलभद्र जी को मैं प्रणाम करता हूँ।


६.
गर्जमानं रणस्थले यो हन्याद् असुरान् बलात्।
सिंहनादसमं नादं वन्दे श्रीबलभद्रकम्॥

अर्थ:
जो युद्धभूमि में सिंह की तरह गर्जना करके बलपूर्वक असुरों का संहार करते हैं — उन श्रीबलभद्र जी को मैं नमन करता हूँ।


७.
प्रलंबं च धनेषं च कंसं च निधनं गताः।
यस्मात् तं शौर्यनिधिं वन्दे श्रीबलभद्रकम्॥

अर्थ:
जिनकी शौर्यशक्ति से प्रलंबासुर, धनेष, और कंस जैसे दैत्य मारे गए — उस शौर्य के भंडार बलराम जी की मैं वंदना करता हूँ।


८.
फलश्रुतिं पठेद् भक्त्या यो नरः श्रद्धयान्वितः।
सर्वदुःखविनिर्मुक्तो लभते च वरं ध्रुवम्॥

अर्थ:
जो मनुष्य श्रद्धा और भक्ति से इस अष्टक का पाठ करता है, वह समस्त दुखों से मुक्त होकर निश्चित रूप से ईश्वर का वरदान प्राप्त करता है।


🙏 समर्पण:

“जय श्री बलभद्राय नमः।
शान्तिम्, सौभाग्यम्, बलं च यच्छतु नः।”


“ॐ जय बलभद्र हरे” आरती को सुंदर रूप में सजाई गई प्रस्तुति — पद्य क्रम, भाव, दोहराव और भक्ति की गूंज के साथ, जैसे मंदिरों या पूजा-पाठ में गाई जाती है:

🔱 ॐ जय बलभद्र हरे 🔱

ॐ जय बलभद्र हरे, प्रभु जय बलभद्र हरे।
अपने कुल की रक्षा तू, प्रभु नित्य नित्य करे॥ ॐ जय बलभद्र हरे॥

जो सेवा तव पावे, प्रति पल गुण गावे।
सुख-सम्पत्ति घर आवे, निर्मल तन पावे॥ ॐ जय बलभद्र हरे॥


तुम हलधर हो स्वामी, सब सुख के दाता।
अन्न तुम्हारे हल से, हर प्राणी पाता॥ ॐ जय बलभद्र हरे॥


गंगाजल सा पावन, है तेरी काया।
जगतनाथ हो देवा, जग तेरी माया॥ ॐ जय बलभद्र हरे॥


जल थल के कण-कण में, तुम्हें पाऊँ देवा।
ऐसा वर दो स्वामी, नित्य करूँ सेवा॥ ॐ जय बलभद्र हरे॥


भक्त जनों के रक्षक, दिव्य स्वरूप धरे।
गौरवर्ण नीलाम्बर, सबके मन मोहे॥ ॐ जय बलभद्र हरे॥


विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, करूँ मन से सेवा॥ ॐ जय बलभद्र हरे॥


वंदन हे बलदेवा, जग के सुखदाता।
चरणों में अर्पित पुष्प, स्वीकारो दाता॥ ॐ जय बलभद्र हरे॥


सभी भक्त मिल करें स्तुति, जगदाता मेरे।
मुरलीधर के भईया, सबके मन मोहे॥ ॐ जय बलभद्र हरे॥


जो बलभद्र जी की आरती, कोई भक्त गावे।
प्रेम सहित गावे तो, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय बलभद्र हरे॥


🔔 समापन:
ॐ जय बलभद्र हरे, प्रभु जय बलभद्र हरे।
अपने कुल की रक्षा तू, प्रभु नित्य नित्य करे॥ ॐ जय बलभद्र हरे॥


प्रसाद वितरण/ आशीर्वाद प्रार्थना:
“हे बलराम जी! हमें बल, बुद्धि, भक्ति और संतुलन का वरदान दें।”

🔸 16. क्षमा प्रार्थना

मंत्र:
🔅 यत्किंचित् कर्महीनत्वं पूजायां समन्वितम्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देव प्रसीद परमेश्वर।।


📌 विशेष सामग्री जो अर्पण की जाती है बलभद्र जी को:

  • हल और मुसल के प्रतीक
  • हल्दी, दही, मक्खन
  • नील वस्त्र (नीली धोती, पीतवर्णी चादर)
  • खीर, लड्डू, फल
  • शंख, मोरपंख, नंदनवन के पुष्प
  • ‘सिरी जी’ (बैल के प्रतीक) की मूर्ति साथ रखें।

📜 संकल्प (मुख्य पूजन से पहले या अंत में)

मंत्र:
🔅 मम समस्त पापक्षयद्वारा, श्री बलभद्र जी प्रीत्यर्थं, श्री बलराम पूजनं करिष्ये।

(दाहिने हाथ में फूल, अक्षत, जल लेकर संकल्प करें)


🙏 पूजन के अंत में करें: आरती:

श्री बलभद्र आरती

संपादक Manoj Kumar Shah

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