श्री बलभद्र पुष्पांजलि


लाल रंग की | रेखा यह संकेत देती है कि पाठ करते समय कहाँ ठहरना है।

॥ श्री बलभद्र पुष्पांजलि पाठ (पूर्ण संस्करण) ॥

॥ श्री बलभद्र पुष्पांजलि पाठ (पूर्ण संस्करण) ॥

१. प्रारंभिक शांति मंत्र

ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवाः| तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्|
ते ह नाकं महिमानः सचन्त| यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः||
ॐ भूर्भुवः स्वः||
देवताओं ने यज्ञ के द्वारा यज्ञ किया| यही उनका प्रथम धर्म था| उन्होंने उस महिमा को प्राप्त किया| जहाँ पहले के सिद्ध देवता स्थित हैं। “ॐ भूर्भुवः स्वः” से पृथ्वी, आकाश और स्वर्ग का स्मरण किया जाता है।

२. श्री बलभद्र ध्यान मंत्र

ॐ बलभद्राय विद्महे| हलधराय धीमहि|
तन्नो रामः प्रचोदयात्||
हम बलभद्र (बलराम) को जानते हैं| हलधर (हल धारण करने वाले) का ध्यान करते हैं| वे प्रभु हमारी बुद्धि को प्रेरित करें।

३. श्री बलभद्र स्तुति मंत्र

नमो हलाय| नमः शंखाय| नमो मुसलधारिणे||
नमस्ते रेणुकापुत्र| नमस्ते रोहिणीसुत||
हे हलधर! हे शंख और मुसल धारण करने वाले! हे रेणुका और रोहिणी के पुत्र! आपको बार-बार नमस्कार है।

४. पुष्प समर्पण मंत्र

इदं पुष्पं श्रीबलभद्राय नमः समर्पयामि||
हे प्रभु बलभद्र! मैं श्रद्धा और भक्ति से आपको यह पुष्प अर्पित करता हूँ।

५. क्षमा प्रार्थना

यदक्षरपदभ्रष्टं| मात्रा हीनं च यद्भवेत्||
तत्सर्वं क्षम्यतां देव| प्रसीद हलधारिणे||
यदि इस पाठ में कोई अक्षर, शब्द या मात्राभ्रष्टि हुई हो तो हे हलधर भगवान! कृपया उसे क्षमा करें और प्रसन्न हों।

६. शांति मंत्र (समापन)

ॐ शान्तिः| शान्तिः| शान्तिः||
अंत में तीन बार “शांति” का उच्चारण कर सब ओर शांति की कामना की जाती है।

संपादक Manoj Kumar Shah

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